2026 की पूर्णिमा तिथियाँ ,जानें मुहूर्त, पूजा-विधि और पूरे वर्ष का पवित्र पंचांग 2026 Purnima Tithiya Muhurat Puja Prabhav

2026 Purnima Tithiya Muhurat Puja Prabhav

2026 Purnima Tithiya Muhurat Puja Prabhav हिंदू ज्योतिष और धर्मशास्त्र में पूर्णिमा का स्थान अत्यंत पवित्र माना जाता है। यह वह दिन है जब चंद्रमा अपनी पूर्ण कलाओं में चमकता है और पृथ्वी पर दिव्यता, शांति और सकारात्मक ऊर्जा का विशेष प्रवाह होता है। 2026 का वर्ष पूर्णिमा के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि इस वर्ष आने वाली सभी पूर्णिमाएँ अलग-अलग धार्मिक अनुष्ठानों, व्रतों और त्योहारों से जुड़ी हैं।पूर्णिमा का दिन साधना, ईश्वर-आराधना, दान-पुण्य, तीर्थ-स्नान और ध्यान के लिए अत्यंत शुभ बताया गया है।

कहा जाता है कि इस दिन मन और शरीर दोनों स्वच्छ हो जाते हैं, और साधक को आध्यात्मिक उन्नति का विशेष अवसर प्राप्त होता है।इस लेख में देखें—2026 की सभी पूर्णिमा तिथियाँ, व्रत, मुहूर्त, महत्व, पूजा-विधि, लाभ, मंत्र, उपाय और पूर्णिमा-अमावस्या का आध्यात्मिक अंतर।

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2026 की सभी पूर्णिमा तिथियाँ – मासिक कैलेंडर और व्रत सूची

(उत्तर भारत और दक्षिण भारत—दोनों पंचांगों के अनुसार मान्य)

नीचे पूरे वर्ष की पूर्णिमा तिथियों का विस्तृत वार्षिक चार्ट दिया गया है:2026 Purnima Tithiya Muhurat Puja Prabhav

तारीख समारोह / पूर्णिमा व्रत
शनिवार, 03 जनवरी 2026 पौष पूर्णिमा व्रत
रविवार, 01 फरवरी 2026 माघ पूर्णिमा व्रत
मंगलवार, 03 मार्च 2026 फाल्गुन पूर्णिमा व्रत
गुरुवार, 02 अप्रैल 2026 चैत्र पूर्णिमा व्रत
शुक्रवार, 01 मई 2026 वैशाख पूर्णिमा व्रत
रविवार, 31 मई 2026 ज्येष्ठ (अधिक) पूर्णिमा व्रत
सोमवार, 29 जून 2026 ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत
बुधवार, 29 जुलाई 2026 आषाढ़ पूर्णिमा व्रत (गुरु पूर्णिमा)
शुक्रवार, 28 अगस्त 2026 श्रावण पूर्णिमा व्रत
शनिवार, 26 सितंबर 2026 भाद्रपद पूर्णिमा व्रत
सोमवार, 26 अक्टूबर 2026 आश्विन पूर्णिमा (शरद पूर्णिमा)
मंगलवार, 24 नवंबर 2026 कार्तिक पूर्णिमा व्रत
बुधवार, 23 दिसंबर 2026 मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत

ये सभी तिथियाँ हिंदू पंचांग की सटीक गणना पर आधारित हैं और उत्तर भारत (पूर्णिमांत) एवं दक्षिण भारत (अमांत) दोनों में समान रूप से स्वीकार्य हैं।


2026 Purnima Tithiya Muhurat Puja Prabhav

पूर्णिमा का वास्तविक अर्थ क्या है?

पूर्णिमा वह खगोलीय स्थिति है जब चंद्रमा 180° के कोण पर सूर्य के विपरीत आकर अपनी पूर्ण ऊर्जा के साथ प्रकाशित होता है। यह केवल एक खगोलीय घटना नहीं, बल्कि आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण समय माना गया है। पूर्णिमा की रात वातावरण में सकारात्मकता, शांति और दिव्य कंपन बढ़ जाते हैं। संस्कृत में “पूर्णिमा” का अर्थ है—पूर्ण चंद्रमा की रात्रि, जो ऊर्जा, प्रकाश और मानसिक स्थिरता का प्रतीक है। इस दिन मन अधिक शांत होता है और आध्यात्मिक कार्यों का प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है।2026 Purnima Tithiya Muhurat Puja Prabhav


पूर्णिमा का महत्व – क्यों माना जाता है इतना शुभ?

पूर्णिमा को ऊर्जा और दिव्यता का चरम बिंदु माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन किए गए धार्मिक और आध्यात्मिक कार्यों का फल सामान्य दिनों की तुलना में कई गुना अधिक मिलता है। आध्यात्मिक साधना, मंत्र-जप, योग और ध्यान का प्रभाव इस रात अत्यंत शक्तिशाली हो जाता है। कई देवताओं के अवतार और दिव्य घटनाएँ भी पूर्णिमा के दिन ही मानी गई हैं, जिसके कारण यह दिन और अधिक पवित्र हो जाता है। मनोवैज्ञानिक दृष्टि से भी पूर्णिमा मानसिक तनाव को कम करने और मन को हल्का व प्रसन्न करने में सहायक होती है।2026 Purnima Tithiya Muhurat Puja Prabhav


पूर्णिमा की पूजा-विधि – कैसे करें सही आराधना?

पूर्णिमा के दिन पूजा-व्रत करते समय मन की शुद्धता और श्रद्धा को सबसे मुख्य माना गया है। सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें और घर या मंदिर में भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी, या भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करें। दीपक, जल, पुष्प, चंदन और धूप अर्पित करें। रात्रि में चंद्र दर्शन अत्यंत महत्वपूर्ण है—चंद्रमा को जल अर्पित करके मंत्र-जप किया जाता है। पूर्णिमा व्रत में फलाहार, सात्त्विक भोजन, ब्रह्मचर्य और शांत वाणी का पालन किया जाता है। चंद्र दर्शन के पश्चात व्रत समाप्त किया जाता है।2026 Purnima Tithiya Muhurat Puja Prabhav

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पूर्णिमा मंत्र — जिन्हें जपने से मिलता है अत्यधिक लाभ

पूर्णिमा के दिन मंत्र-जप अत्यधिक फलदायी माना जाता है। ॐ सोमाय नमः का 108 बार जप मानसिक शांति और स्थिरता देता है। विष्णु भक्त ॐ नमो भगवते वासुदेवाय का जप जीवन में स्थिरता और सफलता लाता है। शरद पूर्णिमा पर ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः का जप धन, सौभाग्य और समृद्धि को आकर्षित करता है। पूर्णिमा की रात ऊर्जा बढ़ी होती है, इसलिए इन मंत्रों का प्रभाव सामान्य दिनों की तुलना में कई गुना अधिक होता है।2026 Purnima Tithiya Muhurat Puja Prabhav


पूर्णिमा के लाभ – क्यों इस दिन बढ़ जाते हैं अवसर?

पूर्णिमा की ऊर्जा शरीर और मन दोनों पर सकारात्मक प्रभाव डालती है। इस दिन मानसिक ऊर्जा और रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने की संभावना रहती है। व्यापार, करियर और निजी जीवन में सकारात्मक बदलाव देखने को मिल सकते हैं। दांपत्य व पारिवारिक संबंधों में मधुरता आती है। इच्छाओं की सिद्धि, ध्यान और योग के लिए यह समय अत्यंत श्रेष्ठ है। शास्त्रों में कहा गया है कि पूर्णिमा पर साधक की आध्यात्मिक शक्ति चार गुना बढ़ जाती है।2026 Purnima Tithiya Muhurat Puja Prabhav


पूर्णिमा पर किए जाने वाले प्रभावी उपाय

पूर्णिमा की रात चंद्रमा को दूध या जल से अर्घ्य देने से मन की शांति और मानसिक संतुलन प्राप्त होता है। सफेद वस्तुओं—जैसे चावल, दूध, वस्त्र और मिठाई—का दान चंद्र दोष और मानसिक तनाव को कम करता है। शरद पूर्णिमा पर देवी लक्ष्मी की पूजा विशेष फलदायी होती है। भगवान शिव को कच्चा दूध अर्पित करने से कर्म संबंधी बाधाएँ और ग्रह दोष दूर होते हैं। ये सभी उपाय पूर्णिमा की दिव्य ऊर्जा का अधिकतम लाभ दिलाने में सहायक माने जाते हैं।2026 Purnima Tithiya Muhurat Puja Prabhav


पूर्णिमा और अमावस्या – दोनों में अंतर क्या है?

पूर्णिमा अमावस्या
चंद्रमा पूर्ण दिखाई देता है चंद्रमा अदृश्य
सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह ग्रह-ऊर्जा कमजोर
आराधना, पूजा, दान का श्रेष्ठ समय पितरों के लिए तर्पण
मन प्रसन्न, ऊर्जावान मन गंभीर, शांत

सामान्यतः पूर्णिमा को दैवीय ऊर्जा का दिन माना जाता है और अमावस्या को आध्यात्मिक साधना का दिन, लेकिन दोनों की ऊर्जा अलग-अलग कार्यों के लिए शुभ होती है।2026 Purnima Tithiya Muhurat Puja Prabhav


पूर्णिमा: अवसरों का द्वार

पूर्णिमा केवल एक तिथि नहीं, बल्कि ऊर्जा और संभावनाओं का द्वार है।जितनी शांति, सौम्यता और दिव्यता इस दिन वातावरण में फैलती है, उतनी किसी अन्य दिन नहीं मिलती।ध्यान, साधना, आराधना और कृतज्ञता—यदि ये चार चीजें पूर्णिमा के दिन की जाएँ, तो जीवन में अद्भुत परिवर्तन आते हैं।2026 Purnima Tithiya Muhurat Puja Prabhav


FOQ :2026 Purnima Tithiya Muhurat Puja Prabhav

1. साल 2026 में पहली पूर्णिमा कब है?

2026 की पहली पूर्णिमा 3 जनवरी, पौष पूर्णिमा से शुरू होती है, जो पूरे वर्ष के व्रतों का शुभ आरंभ मानी जाती है।

2. क्या 2026 की सभी पूर्णिमाएँ उत्तर और दक्षिण भारत दोनों के लिए समान हैं?

हाँ, यहां दी गई सभी तिथियाँ पंचांग के पूर्णिमांत और अमांत दोनों रूपों के अनुसार वैध हैं तथा पूरे भारत के लिए लागू हैं।

3. पूर्णिमा व्रत का क्या महत्व है?

पूर्णिमा को चंद्र ऊर्जा का सर्वोच्च दिन माना जाता है। इस दिन पूजा, मंत्र-जप, दान और ध्यान का फल कई गुना बढ़ जाता है।

4. पूर्णिमा व्रत कैसे किया जाता है?

भक्त सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें, चंद्रमा को अर्घ्य दें, लक्ष्मी-नारायण की पूजा करें और रात में चंद्रदर्शन करें।

5. क्या पूर्णिमा के दिन विशेष मंत्र जप करने चाहिए?

हाँ—“ॐ नमो नारायणाय”, “ॐ सोमाय नमः”, और महालक्ष्मी मंत्र का जप अत्यंत शुभ और फलदायक माना जाता है।

6. पूरी रात चंद्रदर्शन क्यों महत्वपूर्ण है?

पूर्ण चंद्रमा को देखकर मानसिक ऊर्जा बढ़ती है, मन शांत होता है और सकारात्मकता बढ़ती है।

7. क्या पूर्णिमा के दिन यात्रा करनी चाहिए?

पंचांग के अनुसार दिन बहुत शुभ होता है, अतः यात्रा शुभ मानी जाती है।

8. क्या पूर्णिमा का असर राशियों पर भी पड़ता है?

हाँ, चंद्रमा की ऊर्जा बारहों राशियों के मन, स्वास्थ्य और आत्मिक शक्ति पर प्रभाव डालती है।

9. क्या पूर्णिमा पर दान करने से फल बढ़ता है?

हाँ, दान और पुण्य का फल सामान्य दिनों से कई गुना अधिक होता है।2026 Purnima Tithiya Muhurat Puja Prabhav

10. शरद पूर्णिमा का महत्व क्या है?

इसे कोजागरी पूर्णिमा कहा जाता है। माना जाता है कि इस रात चंद्रकिरण अमृत तुल्य होते हैं।2026 Purnima Tithiya Muhurat Puja Prabhav


Disclaimer

इस लेख में दी गई तिथियाँ, मुहूर्त और विवरण पारंपरिक हिंदू पंचांग, ज्योतिषीय गणना और धर्मशास्त्रीय मान्यताओं पर आधारित हैं। स्थान, देशांतर और समयानुसार कुछ अंतर संभव है। पाठक किसी भी धार्मिक अनुष्ठान से पहले स्थानीय पंडित या विश्वसनीय पंचांग से सत्यापन अवश्य करें। यह सामग्री धार्मिक जानकारी हेतु है, इसे अंतिम सत्य के रूप में न लें।2026 Purnima Tithiya Muhurat Puja Prabhav

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