सोम प्रदोष व्रत | व्रत विधि, कथा, महत्व और पूजन का शुभ मुहूर्त Som Pradosh Vrat Katha Mahatva 2

Som Pradosh Vrat Katha

Som Pradosh Vrat Katha Mahatva सोमवार के दिन पड़ने वाला प्रदोष व्रत “सोम प्रदोष व्रत” कहलाता है। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। प्रदोष काल (सूर्यास्त से लगभग 45 मिनट पहले से 45 मिनट बाद तक) में किया गया यह व्रत सभी पापों को नष्ट करने वाला और मनोवांछित फल देने वाला होता है।
व्रतकर्ता को इस दिन शिव-पार्वती की पूजा सच्चे मन से करनी चाहिए, जिससे जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और स्वास्थ्य प्राप्त होता है।

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सोम प्रदोष व्रत 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त

  1. व्रत तिथि: 17 नवंबर 2025 (सोमवार)
  2. प्रदोष काल: सायं 05:37 PM से 08:16 PM तक (भारतीय मानक समय अनुसार)
  3. पूजन का सर्वश्रेष्ठ समय: सूर्यास्त के बाद का 1 घंटा (लगभग 6:00 से 7:00 PM तक)Som Pradosh Vrat Katha Mahatva

सोम प्रदोष व्रत की पूजन विधि (Vrat Vidhi)

  1. प्रातःकाल स्नान व संकल्प:
    ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें — “आज मैं भगवान शिव एवं माता पार्वती की कृपा प्राप्ति हेतु सोम प्रदोष व्रत रखता/रखती हूँ।”
  2. शिवलिंग का अभिषेक:
    शिवलिंग पर जल, दूध, शहद और गंगाजल से अभिषेक करें।
    इसके बाद चंदन, अक्षत, बेलपत्र, धूप, दीप और फूल अर्पित करें।
  3. शिव चालीसा या रुद्राष्टक का पाठ:
    शिव चालीसा, महामृत्युंजय मंत्र या रुद्राष्टक का पाठ करें।
    शाम के समय दीप जलाकर शिव परिवार की पूजा करें।
  4. भोजन और ब्रह्मचर्य का पालन:
    इस दिन व्रतधारी उपवास रखता है या केवल फलाहार करता है।
    ब्रह्मचर्य का पालन करें और मन, वाणी व कर्म से पवित्रता बनाए रखें।Som Pradosh Vrat Katha Mahatva

Som Pradosh Vrat Katha Mahatva

सोम प्रदोष व्रत की कथा (Vrat Katha)

प्राचीन कथाओं के अनुसार, एक बार भगवान शिव ने माता पार्वती को बताया कि जो भी प्रदोष व्रत रखता है, उसे जीवन के समस्त कष्टों से मुक्ति मिलती है।कथा के अनुसार, एक बार चंद्रमा को श्राप मिला जिससे उसका तेज क्षीण हो गया। तब उसने भगवान शिव की आराधना प्रदोष काल में की और “प्रदोष व्रत” का पालन किया।
भगवान शिव ने प्रसन्न होकर चंद्रमा को उसके श्राप से मुक्त किया और उसके तेज को पुनः बढ़ाया।
तभी से प्रदोष व्रत की महिमा लोक में प्रसिद्ध हुई और विशेष रूप से सोमवार को आने वाला “सोम प्रदोष” शिवभक्तों के लिए अत्यंत शुभ माना गया।Som Pradosh Vrat Katha Mahatva

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सोम प्रदोष व्रत का महत्व (Significance)

  1. सोम प्रदोष व्रत से मनुष्य को दीर्घायु, आरोग्य और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
  2. यह व्रत कष्ट निवारण और रोग मुक्ति के लिए विशेष फलदायी है।
  3. विवाह या संतान संबंधी समस्याओं का समाधान भी इस व्रत से होता है।
  4. कहा गया है कि जो भी भक्त श्रद्धा से सोम प्रदोष का व्रत करता है, वह अंत में शिवलोक प्राप्त करता है।Som Pradosh Vrat Katha Mahatva

इस दिन के विशेष नियम (Do’s and Don’ts)

उपवास रखें या केवल फलाहार करें।
शिवलिंग पर बेलपत्र और गंगाजल अवश्य चढ़ाएँ।
सायंकाल प्रदोष काल में दीपक जलाएँ।
मांस, मद्य और नकारात्मक विचारों से दूर रहें।
दूसरों का अपमान या झूठ बोलने से बचें।Som Pradosh Vrat Katha Mahatva


सोम प्रदोष व्रत का फल (Benefits)

  1. मनोवांछित इच्छाएँ पूर्ण होती हैं।
  2. पारिवारिक जीवन में सौहार्द और प्रेम बढ़ता है।
  3. नकारात्मक शक्तियाँ और ग्रह दोष दूर होते हैं।
  4. आर्थिक स्थिति में सुधार और धनलाभ की संभावना बढ़ती है।Som Pradosh Vrat Katha Mahatva

FAQs: सोम प्रदोष व्रत 2025 से जुड़े सामान्य प्रश्न

Q1. सोम प्रदोष व्रत कब रखा जाएगा?

17 नवंबर 2025 (सोमवार) को रखा जाएगा।

Q2. इस दिन शिवलिंग पर क्या अर्पित करें?

जल, दूध, बेलपत्र, अक्षत, और सफेद फूल।

Q3. क्या उपवास अनिवार्य है?
नहीं, फलाहार या अन्नत्याग कर श्रद्धा से पूजा करना भी फलदायी है।

Q4. क्या महिलाएँ भी यह व्रत रख सकती हैं?
हाँ, महिलाएँ भी अपने परिवार की सुख-समृद्धि के लिए यह व्रत रखती हैं।Som Pradosh Vrat Katha Mahatva


Disclaimer

यह लेख धार्मिक मान्यताओं, पुराणों और लोकश्रुतियों पर आधारित है।इसका उद्देश्य केवल जानकारी देना है, किसी भी प्रकार की अंधविश्वास या बाध्यता को बढ़ावा देना नहीं है।पाठक अपने विवेक और श्रद्धा अनुसार इसका पालन करें।Som Pradosh Vrat Katha Mahatva

सोमवार को आने वाला प्रदोष व्रत यानी सोम प्रदोष भगवान शिव की कृपा पाने का श्रेष्ठ दिन है। जानिए 17 नवंबर 2025 के सोम प्रदोष व्रत की पूजा विधि, कथा, और महत्व विस्तार से।

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