
Darsha Amavasya Puja Mahatalab Upay हिंदू पंचांग में आने वाली प्रत्येक अमावस्या का अपना विशिष्ट महत्व होता है, लेकिन “दर्शा अमावस्या” इन सभी में सबसे अधिक पवित्र और फलदायी मानी जाती है। इसे ‘दर्शन करने योग्य अमावस्या’ भी कहा जाता है क्योंकि इस दिन की पूजा, स्नान, दान और पितृ-तर्पण विशेष रूप से फलदायी माना गया है। वेदों, पुराणों और स्मृति ग्रंथों में दर्शा अमावस्या को जीवन से जुड़े दोषों के शमन, नकारात्मक ऊर्जा के नाश और पितरों की संतुष्टि के लिए अत्यंत शुभ बताया गया है।
| तिथि | व्रत / त्योहार | महत्व |
|---|---|---|
| 15 नवंबर 2025 | उत्पन्ना एकादशी | मार्गशीर्ष कृष्ण एकादशी; भगवान विष्णु को समर्पित व्रत। |
| 16 नवंबर 2025 | वृष्चिक संग्रांति (Vrischika Sankranti) | सूर्य का वृश्चिक (स्कॉर्पियो) राशि में प्रवेश। |
| 17 नवंबर 2025 | सोम प्रदोष व्रत + मंडल पूजा आरंभ | शाम के समय शिव-पार्वती को समर्पित प्रदोष व्रत। साथ ही केरल में मंडल पूजा की शुरुआत। |
| 18 नवंबर 2025 | मासिक शिवरात्रि | मासिक शिवरात्रि, भगवान शिव की पूजा और व्रत का दिन। |
| 19 नवंबर 2025 | दर्शा अमावस्या | मार्गशीर्ष कृष्ण अमावस्या; पितृ तर्पण या अन्य धार्मिक कार्यों के लिए महत्वपूर्ण दिन। |
दर्शा अमावस्या शरीर, मन और आत्मा को शुद्ध करने वाला दिन है। ऐसा माना जाता है कि अमावस्या की रात्रि में सूर्य और चंद्रमा एक ही राशि में स्थित होते हैं और यह स्थिति ऊर्जा-क्षेत्रों को स्थिर बनाती है। इस दिन नकारात्मक विचारों, बाधाओं और मानसिक अशांति का प्रभाव कम होता है। ज्योतिष शास्त्र कहता है कि यदि अमावस्या का दिन सही तरीके से साधना, पूजा और तर्पण में लगाया जाए, तो व्यक्ति के जीवन में रुके हुए कार्य तेजी से गति पकड़ते हैं। यह समय आध्यात्मिक साधना, ध्यान, मंत्र-जप और रूढ़ीभूत बाधाओं को दूर करने के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
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दर्शा अमावस्या का पितृ-कर्म से विशेष संबंध है। कई लोग इस तिथि पर पितृ-तर्पण करते हैं क्योंकि शास्त्रों में कहा गया है कि इस दिन किए गए श्राद्ध और दान से पितरों की तृप्ति शीघ्र होती है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है। जिन घरों में बार-बार अड़चनें आती हैं, आर्थिक संकट रहता है या स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ बनी रहती हैं, उन्हें इस अमावस्या पर विधि-विधान से पूजा करने की सलाह दी जाती है। यह दिन ऋण-मुक्ति, कर्ज से छुटकारा, मानसिक तनाव से राहत और ग्रह-दोषों के शमन के लिए भी अत्यंत श्रेष्ठ माना गया है।
कुल मिलाकर दर्शा अमावस्या केवल एक तिथि नहीं, बल्कि ऊर्जा-परिवर्तन का अवसर है। यह जीवन में नकारात्मकता को खत्म कर नई शुरुआत करने का दिन है। जो भी व्यक्ति इस अमावस्या का पालन श्रद्धा, संयम और शास्त्रीय विधि से करते हैं, उनके जीवन में शुभ फल, समृद्धि और मानसिक शांति का प्रवेश होता है।Darsha Amavasya Puja Mahatalab Upay 2025
दर्शा अमावस्या क्या है?
दर्शा अमावस्या हर महीने पड़ने वाली साधारण अमावस्या नहीं होती, बल्कि यह वेध-गणना में विशेष मानी गई अमावस्या है। ‘दर्श’ का अर्थ है ‘दर्शन’ और वेदों में दर्श एवं पौर्णमास यज्ञों का विशेष उल्लेख मिलता है। इस तिथि पर किए गए अनुष्ठान कई गुना फल देते हैं। इसे आत्मनिरीक्षण और पितृकर्म हेतु सर्वश्रेष्ठ समय माना गया है। ज्योतिष में यह कहा गया है कि इस दिन सूर्य और चंद्रमा का संयोग मजबूत आध्यात्मिक ऊर्जा उत्पन्न करता है, जो साधना और तर्पण के लिए अनुकूल होता है।Darsha Amavasya Puja Mahatalab Upay 2025
दर्शा अमावस्या का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व
धर्मशास्त्रों के अनुसार दर्शा अमावस्या का महत्व अत्यंत ऊँचा है। इस दिन किए गए अनुष्ठान, दान और तर्पण से पितृदोष शांत होता है और जीवन की बाधाएँ दूर होती हैं। पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि देवताओं ने भी इस दिन विशेष यज्ञ किए थे, जिससे समृद्धि और उन्नति प्राप्त हुई। यह दिन मन की शुद्धि, आत्मचिंतन और आध्यात्मिक उन्नति का अवसर प्रदान करता है। जो व्यक्ति नियमित रूप से इस अमावस्या का पालन करते हैं, उनके जीवन में स्थिरता और मानसिक संतुलन बेहतर बना रहता है।Darsha Amavasya Puja Mahatalab Upay 2025
दर्शा अमावस्या की पूजा-विधि (विस्तृत विवरण)
दर्शा अमावस्या की पूजा सूर्योदय से प्रारंभ होती है। सबसे पहले लोगों को पवित्र नदी, सरोवर या घर में गंगाजल मिश्रित जल से स्नान करना चाहिए। घर या मंदिर में दीपक जलाकर शुद्ध वातावरण बनाएं। शिवलिंग पर जल, दूध, शहद और तिल चढ़ाना अत्यंत शुभ माना गया है। इसके साथ ही पितरों के लिए काले तिल, अक्षत, जल और कुशा से तर्पण किया जाता है। रात्रि में साधना करना और मंत्रोच्चारण अमावस्या पर विशेष फल देता है। अंत में दान-पुण्य का कार्य अवश्य करना चाहिए।Darsha Amavasya Puja Mahatalab Upay 2025
पितृ-तर्पण का महत्व
शास्त्रों में कहा गया है कि दर्शा अमावस्या पितरों को प्रसन्न करने का सबसे शक्तिशाली अवसर है। इस दिन तर्पण करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और वे अपने वंशजों को आशीष देते हैं। जिन परिवारों में बार-बार समस्याएँ आती हैं, उन्हें इस दिन तर्पण अवश्य करना चाहिए। तर्पण से वंश वृद्धि, स्वास्थ्य और आर्थिक स्थिरता प्राप्त होती है। कुंडली में पितृदोष होने की स्थिति में यह तिथि अत्यंत उपयोगी मानी जाती है।Darsha Amavasya Puja Mahatalab Upay 2025
दर्शा अमावस्या के लाभ
दर्शा अमावस्या के अनेक आध्यात्मिक और व्यावहारिक लाभ बताए गए हैं। इस दिन किए गए दान और पूजा से धन-संपत्ति बढ़ती है, परिवारिक तनाव कम होते हैं, और मानसिक शांति प्राप्त होती है। गृह क्लेश, कर्ज, आर्थिक समस्याओं और स्वास्थ्य संबंधित बाधाएँ दूर होती हैं। इसके अतिरिक्त अमावस्या पर ध्यान और योग करने से मस्तिष्क शांत होता है और नकारात्मकता का प्रभाव कम हो जाता है। साधक इस दिन विशेष सिद्धियाँ भी प्राप्त करते हैं।Darsha Amavasya Puja Mahatalab Upay 2025
अमावस्या पर वैज्ञानिक दृष्टिकोण
वैज्ञानिक दृष्टि से अमावस्या के दिन पृथ्वी पर समग्र ऊर्जा स्थिति बदल जाती है। चंद्रमा की कमी से मानव मन अधिक शांत और अंतर्मुखी होता है, जिससे ध्यान करना आसान होता है। कई शोधों में पाया गया है कि अमावस्या और पूर्णिमा का प्रभाव मनोवैज्ञानिक स्थितियों पर पड़ता है। यह दिन डिटॉक्सिफिकेशन, मन को शांत करने और शरीर की ऊर्जा को संतुलित करने के लिए उपयुक्त है। योग, प्राणायाम और ध्यान इस दिन विशेष लाभ देते हैं।Darsha Amavasya Puja Mahatalab Upay 2025
दर्शा अमावस्या से जुड़े पौराणिक प्रसंग
स्कंद पुराण, ब्रह्मवैवर्त पुराण और मत्स्य पुराण में दर्शा अमावस्या से जुड़े अनेक प्रसंग मिलते हैं। एक कथा के अनुसार, इस दिन देवताओं ने ब्रह्मा जी के निर्देश पर एक महायज्ञ किया था, जिससे उन्हें शक्ति और समृद्धि प्राप्त हुई। दूसरी कथा में बताया गया है कि इस तिथि पर किए गए पितृ-तर्पण से पितरों को तुरंत शांति मिलती है और उनके आशीर्वाद से जीवन में उन्नति होती है। पुराण कथाएँ इस तिथि की महिमा को और प्रबल बनाती हैं।Darsha Amavasya Puja Mahatalab Upay 2025
दर्शा अमावस्या पर किए जाने वाले विशेष उपाय
इस दिन कुछ सरल और प्रभावी उपाय करके बड़ी समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है।
- काले तिल को जल में डालकर स्नान करना नकारात्मकता को दूर करता है।
- शिवलिंग पर जल अभिषेक आर्थिक बाधाओं को कम करता है।
- पीपल के वृक्ष के नीचे दीपक जलाने से पितरों की कृपा मिलती है।
- अनाज, कपड़े, तिल और घी का दान करने से पितृ दोष शांत होता है।
- रात्रि में “ॐ नमः शिवाय” का जप नकारात्मक उर्जा को समाप्त करता है।Darsha Amavasya Puja Mahatalab Upay 2025

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