पंचांग 14 अक्टूबर 2025 – कार्तिक कृष्ण अष्टमी, कर्क राशि में चंद्रमा,शुभ-अशुभ मुहूर्त व उपाय Panchang 14 October 2025

Panchang 14 October 2025 भारतीय पंचांग केवल तिथि और वार का गणित नहीं है, बल्कि यह हमारे जीवन के हर शुभ-अशुभ क्षण का आधार है। प्रत्येक दिन का पंचांग हमें बताता है कि कौन-से योग, नक्षत्र और ग्रहों की स्थिति हमारे कर्मों को कैसे प्रभावित कर रही है।

आज का दिन — 14 अक्टूबर 2025 (मंगलवार)कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि लेकर आया है। यह दिन भैरव उपासना, हनुमान पूजा और शुभ कार्यों की योजना के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है।
इस दिन चंद्रमा कर्क राशि में गोचर कर रहा है, जिससे भावनाओं और पारिवारिक विषयों में गहराई बढ़ेगी। पुनर्वसु और पुष्य नक्षत्र का संयोग इस दिन को और भी पवित्र बना देता है।
आइए जानते हैं — आज का विस्तृत हिंदू पंचांग, शुभ-अशुभ मुहूर्त, ग्रहों की स्थिति और दिनभर के ज्योतिषीय उपाय।

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आज का विवरण

  1. दिनांक: 14 अक्टूबर 2025 (मंगलवार)
  2. स्थान: वाराणसी, उत्तर प्रदेश, भारत
  3. विक्रम संवत: 2082 (कालयुक्त संवत्सर)
  4. शक संवत: 1947 (विश्वावसु संवत्सर)
  5. अयन: दक्षिणायन
  6. ऋतु: शरद ऋतु Panchang 14 October 2025

 सूर्योदय और सूर्यास्त: Panchang 14 October 2025

  1. सूर्योदय: प्रातः 5:59 AM
  2. सूर्यास्त: सायं 5:28 PM

🌙 चन्द्रोदय और चन्द्रास्त

  • चन्द्रोदय: 15 अक्टूबर 12:09 AM
  • चन्द्रास्त: 14 अक्टूबर 1:19 PM

 तिथि विवरण

  1. तिथि: कार्तिक कृष्ण पक्ष अष्टमी – 13 अक्टूबर दोपहर 12:24 से 14 अक्टूबर 11:09 AM तक
  2. इसके बाद: नवमी तिथि प्रारंभ – 14 अक्टूबर 11:09 AM से 15 अक्टूबर 10:34 AM तक

महत्त्व:
अष्टमी तिथि भगवान भैरव, देवी दुर्गा और काल भैरव की उपासना के लिए शुभ मानी जाती है। इस दिन उपवास व रात्रि में भैरव स्तोत्र का पाठ अत्यंत फलदायी होता है। Panchang 14 October 2025


 नक्षत्र विवरण

  1. पुनर्वसु नक्षत्र: 13 अक्टूबर 12:27 PM – 14 अक्टूबर 11:54 AM
  2. पुष्य नक्षत्र: 14 अक्टूबर 11:54 AM – 15 अक्टूबर 12:00 PM

फल:
पुनर्वसु नक्षत्र में किए गए धार्मिक कार्यों में पुनः सफलता मिलती है। जबकि पुष्य नक्षत्र गुरु का नक्षत्र है, इस समय दान-पुण्य, पूजन और गृह कार्य शुभ रहते हैं।


योग विवरण

  1. सिद्ध योग: 14 अक्टूबर 05:55 AM – 15 अक्टूबर 04:11 AM
  2. साध्य योग: 15 अक्टूबर 04:11 AM से आगे

योग फल:
सिद्ध योग में आरंभ किया गया कार्य सिद्ध होता है। यह शुभ मुहूर्तों में से एक है।


 करण विवरण

  1. कौलव: 13 अक्टूबर 11:42 PM – 14 अक्टूबर 11:10 AM
  2. तैतिल: 14 अक्टूबर 11:10 AM – 14 अक्टूबर 10:47 PM
  3. गर: 14 अक्टूबर 10:47 PM – 15 अक्टूबर 10:34 AM

अर्थ:
तैतिल करण में लेन-देन, व्यापार और धन-संबंधी कार्यों की शुरुआत शुभ मानी जाती है।


 वार

  1. वार: मंगलवार
  2. देवता: भगवान हनुमान जी
  3. उपाय: आज हनुमान चालीसा, सुंदरकांड का पाठ करें और लाल वस्त्र धारण करें। मंगल दोष या ऋण से मुक्ति मिलेगी।

 सूर्य और चंद्र की स्थिति

  1. सूर्य: कन्या राशि में
  2. चंद्रमा: कर्क राशि में (पूरा दिन-रात)

फल:
कर्क राशि में चंद्रमा भावनात्मक स्थिरता और पारिवारिक विषयों पर ध्यान दिलाता है। मानसिक शांति बनाए रखना आवश्यक है।


 अशुभ काल

  1. राहुकाल: 2:35 PM – 4:01 PM
  2. यमगंड: 8:51 AM – 10:17 AM
  3. कुलिक काल: 11:43 AM – 1:09 PM
  4. दुर्मुहूर्त: 08:17 AM – 09:03 AM, 10:28 PM – 11:19 PM
  5. वर्ज्य: 07:56 PM – 09:32 PM

सावधानी:
इन समयों में कोई नया कार्य, यात्रा या निवेश प्रारंभ न करें।


 शुभ काल

  1. अभिजीत मुहूर्त: 11:20 AM – 12:06 PM
  2. अमृत काल: 09:33 AM – 11:06 AM
  3. ब्रह्म मुहूर्त: 04:24 AM – 05:12 AM

महत्व:
अभिजीत मुहूर्त में आरंभ किया गया कार्य अवश्य सफल होता है। यह सभी प्रकार के शुभ कार्यों के लिए उत्तम समय है।


 आनन्दादि योग

  1. सुस्थिर योग: 11:54 AM तक
  2. वर्धमान योग: उसके बाद प्रारंभ

 चन्द्राष्टम नक्षत्र

मूल, पूर्वाषाढ़ा, और उत्तराषाढ़ा (प्रथम चरण) के जातकों के लिए यह दिन चन्द्राष्टम है। मानसिक तनाव या निर्णय-विवेक में भ्रम हो सकता है — अतः शांति बनाए रखें और शिव पूजा करें।


 आज के विशेष पूजन एवं उपाय

  1. मंगलवार को हनुमान जी को सिंदूर, तेल और लाल फूल अर्पित करें।
  2. ॐ हं हनुमते नमः” का जाप कम से कम 108 बार करें।
  3. शाम के समय दीपक जलाकर दक्षिण दिशा की ओर मुख करके हनुमान चालीसा पढ़ें।
  4. लाल मसूर या गुड़ का दान करना अत्यंत शुभ रहेगा।

 संक्षेप में — दिन का ज्योतिषीय संदेश

14 अक्टूबर 2025 का दिन धार्मिक, पारिवारिक और मानसिक शांति का प्रतीक है। अष्टमी तिथि व पुष्य नक्षत्र का संयोग आध्यात्मिक उन्नति और कर्मसिद्धि के लिए अत्यंत लाभदायक है। बस राहुकाल और दुर्मुहूर्त से बचें तथा मंगल-हनुमान पूजा अवश्य करें।

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