काशी के 3 दिव्य तीर्थ: रेवती घाट, वेंकटेश्वर घाट और मंगलाघाट — इतिहास, महत्व और पौराणिक रहस्य Revati Venkateshwar Mangala Ghat Varanasi

Revati Venkateshwar Mangala Ghat Varanasi


Revati Venkateshwar Mangala Ghat Varanasi

1. रेवती घाट (Revati Ghat) — देवी रेवती का पावन स्थल

 ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व

रेवती घाट का नाम राजा रैवत की पुत्री देवी रेवती के नाम पर पड़ा। पुराणों के अनुसार रेवती का विवाह बलराम जी से हुआ था। कहा जाता है कि इस स्थान पर देवी रेवती ने भगवान बलराम की आराधना की थी और गंगा स्नान कर तपस्या की थी। इसी कारण यह घाट “रेवती तपोभूमि” के रूप में भी जाना जाता है।

काशी खंड में उल्लेख है कि जो भक्त यहाँ गंगा स्नान करते हैं, उन्हें रेवती समान सौभाग्य और बलराम जी की कृपा प्राप्त होती है।

 निर्माण और स्थापत्य

रेवती घाट का पुनर्निर्माण 18वीं शताब्दी में काशी नरेश बलवंत सिंह के शासनकाल में कराया गया था। यहाँ पर लाल बलुआ पत्थर से बनी सीढ़ियाँ और मध्य में एक छोटा रेवती-बलराम मंदिर स्थित है।

धार्मिक महत्व

श्रावण मास और कार्तिक पूर्णिमा पर यहाँ विशेष स्नान का महत्व है। भक्तगण बलराम पूजन और रेवती आरती करते हैं।

 क्या देखें

  • रेवती-बलराम मंदिर
  • गंगा आरती स्थल (छोटा पर अत्यंत सुंदर)
  • नजदीकी घाट: अस्सी घाट और वेंकटेश्वर घाट
  • शाम का दृश्य: लालिमा से झिलमिलाता गंगा प्रवाह और दीपदान का अद्भुत नजारा Revati Venkateshwar Mangala Ghat Varanasi

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2. वेंकटेश्वर घाट (Venkateshwar Ghat) — दक्षिण भारत की संस्कृति का प्रतीक

 इतिहास और स्थापना

वेंकटेश्वर घाट वाराणसी के दक्षिणी भाग में स्थित है और इसे आंध्र प्रदेश के तिरुपति बालाजी मंदिर के भक्तों ने 19वीं सदी में स्थापित कराया था। यहाँ श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर है जो तिरुपति बालाजी का लघु स्वरूप माना जाता है।

काशी खंड में वेंकटेश्वर रूपी विष्णु का वर्णन मिलता है कि जो काशी में वेंकटेश्वर की आराधना करता है, वह मोक्ष प्राप्त करता है।

 स्थापत्य

द्रविड़ शैली में बना यह मंदिर अपनी दक्षिण भारतीय नक्काशी और पत्थर की मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध है। घाट की सीढ़ियाँ चिकने पत्थरों से बनी हैं, जिन पर दक्षिण भारत से आए शिल्पकारों ने अद्भुत काम किया था।

 धार्मिक महत्व

यह घाट विशेष रूप से दक्षिण भारतीय तीर्थयात्रियों के लिए पूजनीय है। प्रत्येक एकादशी और वैकुंठ एकादशी पर यहाँ विशाल पूजन और रथ यात्रा होती है।

 क्या देखें

  • श्री वेंकटेश्वर मंदिर
  • दक्षिण भारतीय भोजनालय और आश्रम
  • पास का घाट: रेवती घाट और मंगलाघाट
  • सुबह की गंगा आरती: दक्षिण भारतीय वैदिक मंत्रों के साथ एक अनोखा अनुभव Revati Venkateshwar Mangala Ghat Varanasi

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3. मंगलाघाट (Mangala Ghat) — मंगल ग्रह और सौभाग्य की आराधना का स्थल

 पौराणिक कथा

मंगलाघाट का नाम भगवान मंगल (कार्तिकेय) से जुड़ा है। मान्यता है कि यहाँ भगवान कार्तिकेय ने अपने पिता भगवान शिव की आज्ञा से मंगल ग्रह का अभिषेक किया था ताकि मानव जाति के जीवन में शुभ फल बढ़ें।
इसी कारण यहाँ “मंगल दोष निवारण स्नान” और “मंगल पूजा” अत्यंत प्रसिद्ध है।

स्कंद पुराण में उल्लेख है कि “काश्यां तु मंगले तीर्थं, पापं दहति नामतः” — अर्थात् काशी के मंगल तीर्थ में स्नान करने से सभी अशुभ दोष नष्ट होते हैं।

 निर्माण और इतिहास

यह घाट मराठा शासिका अहिल्याबाई होल्कर के शासनकाल (18वीं सदी) में बनवाया गया था। घाट के ऊपरी भाग में मंगलनाथ मंदिर स्थित है, जिसमें लाल पत्थरों से बनी मंगल मूर्ति स्थापित है।

 धार्मिक महत्व

  • मंगल दोष निवारण पूजन
  • कुंवारी कन्याओं के लिए वरदान स्वरूप पूजा
  • हनुमान जयंती और मंगलवार को विशेष मेला

 क्या देखें

  • मंगलनाथ मंदिर
  • गंगा स्नान सीढ़ियाँ (लाल पत्थर की सुंदर नक्काशी)
  • पास के घाट: वेंकटेश्वर घाट, रेवती घाट
  • सूर्यास्त दृश्य: लालिमा लिए शांत वातावरण में गंगा का मनमोहक प्रवाह Revati Venkateshwar Mangala Ghat Varanasi

FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

Q1. क्या रेवती घाट और बलराम जी का कोई संबंध है?
हाँ, पुराणों के अनुसार देवी रेवती का विवाह बलराम जी से हुआ था, इसलिए यहाँ बलराम-रेवती मंदिर स्थापित है।

Q2. वेंकटेश्वर घाट किसने बनवाया था?
यह घाट दक्षिण भारत के भक्तों द्वारा 19वीं सदी में निर्मित कराया गया, बाद में काशी नरेश ने इसका जीर्णोद्धार करवाया।

Q3. मंगलाघाट पर किस देवता की पूजा की जाती है?
यहाँ मंगल ग्रह (कार्तिकेय रूप) की पूजा होती है, विशेषकर मंगलवार को।

Q4. इन तीनों घाटों तक कैसे पहुँचा जा सकता है?
ये सभी घाट अस्सी घाट क्षेत्र के समीप हैं, जिन्हें पैदल या नौका द्वारा आसानी से देखा जा सकता है। Revati Venkateshwar Mangala Ghat Varanasi


Disclaimer:

यह लेख ऐतिहासिक, पौराणिक और लोक मान्यताओं पर आधारित है। तथ्य विभिन्न ग्रंथों, पुराणों और स्थानीय परंपराओं से लिए गए हैं। पाठकों से निवेदन है कि धार्मिक मान्यताओं को अपनी आस्था और श्रद्धा के अनुसार ग्रहण करें।

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