छठ पूजा : जानें छठ पर्व की उत्पत्ति, कथा, पूजा विधि, लाभ और महत्व Chhath Puja Katha Vidhi Labh

Chhath Puja Katha Vidhi Labh छठ पूजा सूर्य देव और छठी मैया की उपासना का महापर्व है। यह पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। छठ पूजा को सूर्य उपासना का सबसे प्राचीन और वैज्ञानिक पर्व कहा जाता है क्योंकि सूर्य ही जीवनदायिनी ऊर्जा का स्रोत माने गए हैं। इस दिन लोग स्नान, व्रत और पूजा के माध्यम से सूर्य देव से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।Chhath Puja Katha Vidhi Labh

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छठ पूजा की उत्पत्ति कब और कैसे हुई?

छठ पूजा की उत्पत्ति वैदिक काल में हुई मानी जाती है। प्राचीन ग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि ऋषि-मुनि सूर्य देव की उपासना विशेष मंत्रों और नियमों के साथ करते थे। महाभारत काल में भी इसका उल्लेख मिलता है, जब कुंती और द्रौपदी ने कठिन व्रत रखकर सूर्य की आराधना की थी।
एक अन्य कथा के अनुसार, राजा प्रियव्रत और रानी मालिनी के संतान न होने पर महर्षि कश्यप ने उन्हें यज्ञ करवाने की सलाह दी। उस यज्ञ से देवी षष्ठी प्रकट हुईं, जिन्होंने राजा को संतान का वरदान दिया। उसी दिन से यह पर्व षष्ठी तिथि को देवी षष्ठी और सूर्य की उपासना के रूप में मनाया जाने लगा।Chhath Puja Katha Vidhi Labh


किन स्थानों पर छठ पूजा प्रमुख रूप से मनाई जाती है?

छठ पूजा सबसे अधिक बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल में मनाई जाती है। बिहार के पटना, गया, दरभंगा, भागलपुर, छपरा, मुजफ्फरपुर जैसे जिलों में इसकी विशेष छटा देखने को मिलती है। उत्तर प्रदेश के वाराणसी और गोरखपुर में भी यह पर्व बड़े उत्साह से मनाया जाता है। दिल्ली, कोलकाता और मुंबई जैसे महानगरों में प्रवासी बिहारी समुदाय भी इसे धूमधाम से मनाते हैं। छठ पूजा के दौरान गंगा, यमुना या किसी भी पवित्र नदी, तालाब या घाट पर श्रद्धालु एकत्र होकर सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं।Chhath Puja Katha Vidhi Labh


छठ पूजा करने की संपूर्ण विधि (Nahay-Khay से लेकर Arghya तक)

 नहाय-खाय (पहला दिन)

पहले दिन व्रती पवित्र स्नान कर घर की सफाई करते हैं। इसके बाद व्रती शुद्ध सात्विक भोजन करते हैं। इस दिन कद्दू की सब्जी, चना दाल और चावल का प्रसाद बनाया जाता है। इसे खाने से शरीर और मन शुद्ध होता है, जिससे आगामी उपवास के लिए आत्मिक शक्ति प्राप्त होती है।

 खरना (दूसरा दिन)

दूसरे दिन व्रती पूरे दिन निर्जल उपवास रखते हैं और शाम के समय स्नान करके गुड़ और गन्ने के रस से बनी खीर का प्रसाद तैयार करते हैं। इस प्रसाद को ग्रहण करने के बाद ही 36 घंटे का निर्जल उपवास शुरू होता है। खरना की रात का वातावरण बेहद पवित्र और भक्ति भाव से भरा होता है।

 संध्या अर्घ्य (तीसरा दिन)

तीसरे दिन शाम को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इस अवसर पर घाटों को साफ-सजाकर दीपक जलाए जाते हैं। महिलाएं सूप में ठेकुआ, फल, नारियल, दीपक और अन्य प्रसाद रखकर सूर्य देव को अर्पित करती हैं। घाटों पर पारंपरिक लोकगीत और भजन गाए जाते हैं, जिससे वातावरण भक्तिमय हो जाता है।Chhath Puja Katha Vidhi Labh

 उषा अर्घ्य (चौथा दिन)

चौथे दिन प्रातः काल उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। व्रती इस समय संतान सुख, परिवार की खुशहाली और समृद्धि की कामना करते हैं। अर्घ्य के बाद व्रत का पारण किया जाता है और व्रती भोजन ग्रहण करते हैं। इस प्रकार चार दिनों का यह पर्व संपन्न होता है।


छठ पूजा के लाभ और महत्व

छठ पूजा करने से सूर्य देव की कृपा से स्वास्थ्य, संतान और समृद्धि की प्राप्ति होती है। यह व्रत मन की शुद्धि और आत्मबल को बढ़ाता है। घर-परिवार में शांति और सुख-समृद्धि बनी रहती है। यह पर्व प्रकृति, सूर्य और जल के प्रति आभार प्रकट करने का माध्यम भी है। सूर्य से मिलने वाली ऊर्जा जीवन का आधार है, इसलिए यह व्रत जीवन में सकारात्मकता लाता है।Chhath Puja Katha Vidhi Labh


छठ पूजा में बोले जाने वाले प्रमुख मंत्र

सूर्य देव की उपासना के दौरान विशेष मंत्रों का जाप किया जाता है।
सूर्य मंत्र: “ॐ घृणि सूर्याय नमः”
छठी मैया आराधना मंत्र: “ॐ षष्ठ्यै नमः”, “ॐ आदित्याय नमः”
अर्घ्य देते समय मंत्र: “ॐ सूर्याय नमः”, “ॐ आदित्याय नमः”
इन मंत्रों के उच्चारण से मानसिक शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होता है।


छठ पूजा में विशेष प्रसाद

छठ पूजा में बनाए जाने वाले प्रसादों में ठेकुआ मुख्य होता है। इसके अलावा गन्ना, नारियल, केले, सेब, संतरा, अमरूद, चावल और गुड़ की खीर का प्रसाद तैयार किया जाता है। इन प्रसादों को पूरी श्रद्धा, शुद्धता और बिना लहसुन-प्याज के बनाया जाता है। इन प्रसादों को बाद में परिवार और समाज के साथ साझा किया जाता है।


छठ पूजा के वैज्ञानिक पहलू

छठ पूजा के पीछे वैज्ञानिक दृष्टि भी है। सूर्य की उपासना से शरीर को विटामिन D प्राप्त होता है, जो हड्डियों और त्वचा के लिए लाभदायक है। सूर्य की किरणें शरीर के रोगों को नष्ट करती हैं और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती हैं। वहीं उपवास और संयम से शरीर डिटॉक्स होता है और मानसिक शांति मिलती है।


FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

Q1. छठ पूजा कितने दिन की होती है?
यह पूजा 4 दिनों तक चलती है — नहाय-खाय, खरना, संध्या अर्घ्य और उषा अर्घ्य।

Q2. छठ पूजा में व्रती क्या खाते हैं?
व्रती शुद्ध और सात्विक भोजन करते हैं, जिसमें लहसुन-प्याज नहीं होता।

Q3. क्या पुरुष भी छठ व्रत रख सकते हैं?
हाँ, छठ पूजा में पुरुष और महिलाएं दोनों व्रत रख सकते हैं।

Q4. क्या छठ पूजा सिर्फ बिहार में होती है?
नहीं, अब यह पूरे भारत और विदेशों में भी प्रवासी भारतीयों द्वारा मनाई जाती है।


Disclaimer:

यह लेख धार्मिक आस्था और परंपरा पर आधारित है। इसका उद्देश्य केवल जनजागरूकता बढ़ाना है। कृपया किसी भी पूजा या व्रत के लिए अपने परिवार के पुरोहित या पंडित की सलाह अवश्य लें।Chhath Puja Katha Vidhi Labh

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