Kaalsarp Dosh Pooja Details:कालसर्प दोष: एक विस्तृत मार्गदर्शन, प्रकार, पूजा स्थल और शांति मंत्र

Kaalsarp Dosh Pooja Details:कालसर्प दोष: एक विस्तृत मार्गदर्शन, प्रकार, पूजा स्थल और शांति मंत्र

कालसर्प दोष: एक परिचय:Kaalsarp Dosh Pooja Details

कालसर्प दोष (Kaal Sarp Dosh) ज्योतिष शास्त्र में एक अत्यंत प्रभावशाली और चिंताजनक योग माना जाता है। यह तब बनता है जब किसी व्यक्ति की कुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के बीच स्थित हो जाते हैं। यह दोष व्यक्ति के जीवन में मानसिक, आर्थिक, सामाजिक और शारीरिक परेशानियां ला सकता है।

‘काल’ का अर्थ है ‘समय’ और ‘सर्प’ का अर्थ है ‘साँप’। यह योग दर्शाता है कि व्यक्ति के जीवन में बाधाएँ, रुकावटें और संघर्ष साँप की तरह लिपट जाते हैं।


कालसर्प दोष के प्रकार

कालसर्प दोष कुल 12 प्रकार के माने जाते हैं, जो इस बात पर निर्भर करते हैं कि राहु और केतु किन भावों में स्थित हैं। नीचे प्रमुख प्रकार दिए गए हैं:

  1. अनंत कालसर्प दोष – राहु 1वें और केतु 7वें भाव में।
  2. कुलिक कालसर्प दोष – राहु 2वें और केतु 8वें भाव में।
  3. वासुकी कालसर्प दोष – राहु 3वें और केतु 9वें भाव में।
  4. शंखपाल कालसर्प दोष – राहु 4वें और केतु 10वें भाव में।
  5. पद्म कालसर्प दोष – राहु 5वें और केतु 11वें भाव में।
  6. महापद्म कालसर्प दोष – राहु 6वें और केतु 12वें भाव में।
  7. तक्षक कालसर्प दोष – राहु 7वें और केतु 1वें भाव में।
  8. कर्कोटक कालसर्प दोष – राहु 8वें और केतु 2वें भाव में।
  9. शंखचूड़ कालसर्प दोष – राहु 9वें और केतु 3वें भाव में।
  10. घातक कालसर्प दोष – राहु 10वें और केतु 4वें भाव में।
  11. विशाक्त कालसर्प दोष – राहु 11वें और केतु 5वें भाव में।
  12. शेषनाग कालसर्प दोष – राहु 12वें और केतु 6वें भाव में।

सबसे खतरनाक कालसर्प दोष कौन सा है?

महापद्म कालसर्प दोष और कुलिक कालसर्प दोष को सबसे अधिक प्रभावशाली और खतरनाक माना जाता है।


कालसर्प दोष की पूजा कहाँ करनी चाहिए?

कालसर्प दोष की शांति के लिए विशेष पूजा और अनुष्ठान आवश्यक होते हैं। भारत में कई मंदिर प्रसिद्ध हैं जहाँ यह पूजा विधिपूर्वक की जाती है:

  1. त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग (नासिक, महाराष्ट्र):
    • यह सबसे प्रसिद्ध स्थान है कालसर्प योग की पूजा के लिए।
    • यहाँ विशेष ब्राह्मण पूजा, रुद्राभिषेक और नागबली-नारायणबली अनुष्ठान किए जाते हैं।
  2. उज्जैन महाकालेश्वर मंदिर (मध्य प्रदेश):
    • यहां कालसर्प दोष की शांति हेतु विशेष अनुष्ठान और रुद्रपाठ किया जाता है।
  3. केदारनाथ (उत्तराखंड):
    • शिव के पंचकेदारों में से एक। यहां पूजा से कालसर्प योग के प्रभाव में कमी आती है।
  4. कोक्कणेश्वर मंदिर (कोल्हापुर, महाराष्ट्र):
    • नाग पूजा के लिए प्रसिद्ध यह मंदिर भी कालसर्प दोष शांति के लिए उपयुक्त है।
  5. सिद्धेश्वर मंदिर (ओडिशा):
    • यहां नागदेवता की विशेष पूजा होती है, जिससे कालसर्प दोष में लाभ मिलता है।

कालसर्प दोष शांति के लिए प्रभावशाली मंत्र

कालसर्प दोष की शांति हेतु नीचे दिए गए मंत्र अत्यंत प्रभावशाली माने जाते हैं:

1.कालसर्प दोष निवारण मंत्र:

“ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमो नागराजाय”

2.नाग मंत्र:

“ॐ कुर्वन्तु सर्वे सर्पा मम शुभाय सर्वदा।
त्राहि त्राहि महाविष्णो नागदोषात् भयं मम।।”

3.महामृत्युंजय मंत्र (रोज़ जपने से लाभ):

“ॐ त्र्यंबकं यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्।।”

इन मंत्रों का नियमित जप विशेष रूप से सोमवार और नाग पंचमी को करने से अत्यंत लाभ प्राप्त होता है।


कालसर्प दोष से बचने के उपाय

  • हर सोमवार शिवलिंग पर जल, बेलपत्र, और दूध चढ़ाएं।
  • नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा करें।
  • पीपल के वृक्ष की पूजा करें और दीपक जलाएं।
  • रुद्राभिषेक और महामृत्युंजय जाप कराएं।

निष्कर्ष (Conclusion)

कालसर्प दोष एक ऐसा योग है जो व्यक्ति के जीवन को प्रभावित कर सकता है, लेकिन यह कोई अभिशाप नहीं है। उचित पूजा, मंत्र जाप और आस्था के साथ किए गए उपायों से इस दोष का प्रभाव कम किया जा सकता है। ज्योतिष पर विश्वास रखने वाले लोगों के लिए कालसर्प दोष की पूजा एक मानसिक और आत्मिक शांति प्रदान करती है।

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(Disclaimer):

इस लेख में दी गई जानकारी प्राचीन ज्योतिषीय मान्यताओं, धार्मिक ग्रंथों और परंपरागत विश्वासों पर आधारित है। इसका उद्देश्य पाठकों को सामान्य जानकारी प्रदान करना है। हम यह दावा नहीं करते कि कालसर्प दोष अथवा इससे संबंधित उपायों के परिणाम सभी व्यक्तियों के लिए समान होंगे। किसी भी प्रकार की ज्योतिषीय या धार्मिक पूजा कराने से पहले योग्य और अनुभवी पंडित या ज्योतिषाचार्य की सलाह अवश्य लें। यह लेख किसी भी अंधविश्वास को बढ़ावा देने के लिए नहीं लिखा गया है।

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