Lal Kitab Rin KePrakar Dosh Upay Mantra:लाल किताब के 5 ऋण: कारण, दोष, उपाय व मंत्र
लाल किताब में बताए गए ऋण जीवन के छिपे हुए कर्म बंधन हैं, जो व्यक्ति की उन्नति और सुख-समृद्धि में रुकावट डालते हैं। जब कुंडली में ये ऋण सक्रिय होते हैं, तो जातक को लगातार संघर्ष, असफलता, पारिवारिक कलह, मानसिक तनाव, आर्थिक संकट और स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाँ झेलनी पड़ती हैं। कई बार अच्छे कर्म करने और मेहनत के बावजूद सफलता नहीं मिलती क्योंकि पिछले जन्मों या वर्तमान जीवन के अधूरे कर्तव्यों का प्रभाव सामने आता है। देव, ऋषि, पितृ, मातृ और भूत ऋण मिलकर जीवन की प्रगति को रोकते हैं और इंसान को बार-बार विपरीत परिस्थितियों से गुजरना पड़ता है।
1. देव ऋण:Lal Kitab Rin KePrakar Dosh Upay Mantra
देव ऋण तब बनता है जब व्यक्ति ईश्वर, धर्म या पूजा-पाठ की उपेक्षा करता है। यदि कुंडली में सूर्य और बृहस्पति कमजोर हों या उन पर पाप ग्रहों की दृष्टि हो, तो यह ऋण जन्म लेता है। ऐसे जातक धर्म से दूर रहते हैं और जीवन में बार-बार अवरोध झेलते हैं। इसका निवारण प्रतिदिन प्रातः स्नान कर ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप और मंदिर में दीप जलाने से होता है। सोमवार को शिवलिंग पर जलाभिषेक और दान-पुण्य करने से देव ऋण से मुक्ति मिलती है।
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2. ऋषि ऋण:Lal Kitab Rin KePrakar Dosh Upay Mantra
ऋषि ऋण तब बनता है जब किसी ने गुरु, शिक्षक या ज्ञान के स्रोत का अपमान किया हो। यह ऋण कुंडली में बुध और बृहस्पति की अशुभ स्थिति से उत्पन्न होता है। ऐसे जातक को शिक्षा में बाधा, गुरु का साथ न मिलना और असफलता मिलती है। उपाय के लिए गुरुवार का व्रत करें, ब्राह्मणों को भोजन कराएं और गुरु की सेवा करें। ॐ गुरवे नमः मंत्र का जाप प्रतिदिन करने से लाभ होता है। साथ ही पवित्र पुस्तकों का अध्ययन और दान करने से ऋषि ऋण शांत होता है।
3. पितृ ऋण:Lal Kitab Rin KePrakar Dosh Upay Mantra
पितृ ऋण तब बनता है जब पूर्वजों की आत्मा असंतुष्ट होती है, श्राद्ध न करने या माता-पिता की उपेक्षा करने से यह दोष उत्पन्न होता है। कुंडली में राहु, केतु या शनि की अशुभ स्थिति इसका मुख्य कारण होती है। ऐसे जातक को परिवार में अशांति, आर्थिक संकट और संतान सुख की कमी झेलनी पड़ती है। उपाय के लिए पितृ पक्ष में श्राद्ध और तर्पण करना अनिवार्य है। प्रतिदिन ॐ पितृभ्यः नमः मंत्र का जाप और गरीबों को अन्नदान करने से पितृ ऋण शांत होता है।
4. मातृ ऋण:Lal Kitab Rin KePrakar Dosh Upay Mantra
मातृ ऋण उस समय उत्पन्न होता है जब माता, बहन या स्त्रियों का अपमान किया जाता है या उनकी सेवा नहीं की जाती। यदि कुंडली में चंद्रमा और शुक्र कमजोर हों या पाप ग्रहों से पीड़ित हों तो यह ऋण दिखाई देता है। इसके कारण जातक को मानसिक कष्ट, वैवाहिक जीवन में समस्या और माता से दूरी झेलनी पड़ती है। निवारण के लिए नवरात्रि में दुर्गा पूजन करें, माता-पिता की सेवा करें और स्त्रियों का सम्मान करें। प्रतिदिन ॐ दुर्गायै नमः मंत्र का जाप और कन्या पूजन करने से मातृ ऋण से मुक्ति मिलती है।
5. भूत ऋण:Lal Kitab Rin KePrakar Dosh Upay Mantra
भूत ऋण तब बनता है जब व्यक्ति जीव-जंतुओं, पशु-पक्षियों या मानवता के प्रति अन्याय करता है। कुंडली में शनि, राहु और मंगल की अशुभ स्थिति इसका प्रमुख कारण मानी जाती है। इसके कारण जीवन में कठिनाइयाँ, मुकदमेबाजी और समाज में बदनामी हो सकती है। उपाय के लिए नियमित गौ-सेवा करें, पक्षियों को दाना डालें और गरीबों की सहायता करें। प्रतिदिन ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप और शनिवार को दान-पुण्य करने से भूत ऋण शांत होता है।
लाल किताब के पाँचों ऋण जीवन की उन जिम्मेदारियों की याद दिलाते हैं जिन्हें पूरा करना हर इंसान का कर्तव्य है। यदि ये ऋण कुंडली में बने हों तो जातक को चाहिए कि समय रहते पूजा-पाठ, दान-पुण्य और सेवा के माध्यम से इन्हें शांत करे। देवताओं का सम्मान, गुरुओं की सेवा, पितरों का तर्पण, माता-पिता व स्त्रियों का आदर और जीव-जंतुओं की रक्षा करने से ये दोष धीरे-धीरे समाप्त हो जाते हैं। जब ऋण शांति के उपाय अपनाए जाते हैं तो जीवन में सुख-शांति, समृद्धि और सफलता स्वतः ही प्राप्त होने लगती है।
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