
Nepali Ghat Munshi Ghat Darbhanga Ghat-Varanasi वाराणसी — गंगा तट पर बसा वह दिव्य नगर, जिसे स्वयं भगवान शिव ने “अविमुक्त क्षेत्र” कहा है। यह धरती केवल एक शहर नहीं, बल्कि आत्मा की मुक्ति का द्वार है। यहाँ हर घाट एक कथा कहता है, हर लहर में इतिहास बहता है और हर दीप में आस्था झिलमिलाती है।
कहा जाता है कि “काश्याम मरणं मुक्तिः” — अर्थात वाराणसी में मृत्यु भी मोक्ष का द्वार बन जाती है।
काशी में लगभग 84 घाट हैं, जिनमें से प्रत्येक का अपना अलग आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और स्थापत्य महत्त्व है। परंतु इनमें कुछ घाट ऐसे हैं जो अपनी राजसी विरासत, कलात्मक भव्यता और धार्मिक गहराई के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं।
ऐसे ही तीन अनमोल रत्न हैं —
नेपाली घाट,
मुनशी घाट, और
दरभंगा घाट।
ये तीनों घाट केवल पत्थरों और सीढ़ियों का समूह नहीं हैं, बल्कि यह उन युगों के साक्षी हैं जब राजा, संत और शिल्पकार मिलकर धर्म और कला की सेवा करते थे।इन घाटों पर खड़े होकर लगता है मानो समय ठहर गया हो —जहाँ नेपाल की सुगंध, मिथिला की भव्यता और काशी की दिव्यता एक साथ मिलती है।
1. नेपाली घाट (Nepali Ghat, Varanasi)
निर्माण और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
नेपाली घाट का निर्माण 19वीं शताब्दी की शुरुआत में नेपाल के राजा राणा बहादुर शाह (Rana Bahadur Shah, King of Nepal, 1775–1806) द्वारा कराया गया था।जब उन्हें राजनीतिक संघर्षों के कारण नेपाल छोड़ना पड़ा, तब उन्होंने वाराणसी में निवास किया और यहाँ काठमांडू के पशुपतिनाथ मंदिर जैसी एक प्रतिकृति बनाने का संकल्प लिया।
उन्होंने इस घाट के ऊपर एक भव्य पशुपतिनाथ मंदिर का निर्माण आरंभ करवाया, जो बाद में उनके पुत्र गिरवन युध्द विक्रम शाह द्वारा पूर्ण कराया गया।निर्माण कार्य को पूरा होने में लगभग 30 वर्ष लगे।Nepali Ghat Munshi Ghat Darbhanga Ghat-Varanasi
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स्थापत्य कला और विशेषताएँ
नेपाली घाट का मंदिर लकड़ी से निर्मित है — जो काशी में अद्वितीय है।यह मंदिर पूरी तरह देवदार और सागौन की लकड़ी से बना है, जिसमें नेपाली पगोडा शैली (Pagoda Style) का प्रयोग किया गया है।मंदिर की दीवारों पर शिव-पार्वती, गणेश, भैरव और अन्य देवी-देवताओं की नक्काशी की गई है।लकड़ी पर की गई यह महीन कलाकारी नेपाल की काष्ठकला (Wood Carving Art) का अद्भुत उदाहरण है।
पौराणिक और धार्मिक महत्त्व
यह घाट और मंदिर भगवान पशुपतिनाथ को समर्पित है।
शिव पुराण के अनुसार —
“पशुपतिनाथं नमसि शिवाय, यत्र सर्वपापानि नश्यन्ति।”
अर्थात जो व्यक्ति पशुपतिनाथ की उपासना करता है, उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।वाराणसी का यह मंदिर काठमांडू के पशुपतिनाथ का प्रतीक है। ऐसा माना जाता है कि यहाँ दर्शन करने से काठमांडू यात्रा के समान पुण्य प्राप्त होता है।Nepali Ghat Munshi Ghat Darbhanga Ghat-Varanasi
प्राचीन ग्रंथों में उल्लेख और प्रमाण
- काशी खंड (स्कंद पुराण) में कहा गया है कि वाराणसी का प्रत्येक तीर्थ शिव के स्वरूप का अंश है —
“काश्यां तु पशुपाशानां बन्धमोक्षौ भवेद्ध्रुवम्।”
अर्थात काशी में पशुपाश (बंधन) और मोक्ष, दोनों प्राप्त होते हैं।
इसी कारण नेपाली घाट को “पशुपति क्षेत्र का विस्तार” माना गया है। - वाराणसी महात्म्य और निरनायक ग्रंथ में उल्लेख है कि “नेपाल देश के नरेश द्वारा निर्मित शिवधाम काशी में स्थित है, जो नेपाल की आस्था का प्रतिरूप है।”
सांस्कृतिक महत्त्व
नेपाली घाट भारतीय उपमहाद्वीप में भारत–नेपाल मैत्री और सांस्कृतिक एकता का जीवंत प्रतीक है।हर वर्ष नेपाल से श्रद्धालु यहाँ दर्शन के लिए आते हैं, विशेष रूप से महाशिवरात्रि और श्रावण मास में।Nepali Ghat Munshi Ghat Darbhanga Ghat-Varanasi
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2. मुनशी घाट (Munshi Ghat, Varanasi)
निर्माण और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
मुनशी घाट का निर्माण 1870 के दशक में हुआ।इसे श्रद्धेय श्रीधर नारायण मुनशी, जो नवाब ऑफ बनारस के दीवान (मंत्री) थे, ने बनवाया था।इसी कारण इसका नाम “मुनशी घाट” पड़ा।बाद में यह घाट दरभंगा नरेश की सीमा तक फैला और दोनों घाटों का रूप इतना सुंदर हुआ कि इन्हें साथ में “मुनशी–दरभंगा घाट कॉम्प्लेक्स” कहा जाने लगा।
वास्तु और स्थापत्य कला
मुनशी घाट की भव्यता आज भी चकित करती है।
यहाँ विशाल बलुआ पत्थर की सीढ़ियाँ, ऊँचे गुंबद, और सुंदर जालीदार खिड़कियाँ हैं।
स्थापत्य में मुगल और राजस्थानी कला का संगम झलकता है।
धार्मिक एवं पौराणिक महत्त्व
मुनशी घाट पर गंगा स्नान और पूजा अर्चना करने से पितृ दोष और रोगों का शमन होता है।
‘काशी खंड’ के अध्याय 45 में उल्लेख है —
“दानं स्नानं तु यत्र स्यात्, मुनिषीति तु प्रसिद्धम्।”
अर्थात जहाँ मुनि (ज्ञानी) द्वारा स्नान और दान किया गया, वह स्थान मुनशी घाट के समान पुण्यदायी होता है।
सांस्कृतिक और सामाजिक पक्ष
मुनशी घाट के ऊपर प्राचीनकाल में संतों का निवास भी हुआ करता था।यहाँ सुबह “गंगा आरती” का नजारा अत्यंत मनोहर होता है।
विदेशी यात्री इसे “The Royal Bank of Ganges” कहकर वर्णित करते हैं।Nepali Ghat Munshi Ghat Darbhanga Ghat-Varanasi
3. दरभंगा घाट (Darbhanga Ghat, Varanasi)
निर्माण और इतिहास
दरभंगा घाट का निर्माण 1915–1920 के बीच दरभंगा नरेश महाराज लक्ष्मीश्वर सिंह (Maharaja of Darbhanga, Bihar) ने कराया था।उन्होंने मुनशी घाट के समीप अपने नाम से एक भव्य दरभंगा पैलेस (Darbhanga Palace) भी बनवाया।यह महल न केवल काशी में बल्कि पूरे उत्तर भारत में स्थापत्य कला का अद्भुत नमूना माना जाता है।Nepali Ghat Munshi Ghat Darbhanga Ghat-Varanasi
स्थापत्य और शिल्पकला
दरभंगा घाट पूरी तरह चूना पत्थर और संगमरमर से निर्मित है।महल में राजस्थानी छतरियाँ, अष्टकोणीय मीनारें, और मुगल शैली की जालियाँ हैं।यहाँ का संगमरमर जयपुर और मकराना से लाया गया था।
धार्मिक और पौराणिक संदर्भ
लोककथाओं के अनुसार दरभंगा महाराज स्वयं एक गहन शिवभक्त थे।उन्होंने गंगा तट पर यह घाट “पितृ कर्म और साधना” हेतु बनवाया था।कहा जाता है कि इस घाट पर स्नान करने और पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष प्राप्त होता है।
स्कंद पुराण में लिखा है —
“गंगायां यत्र शुद्धात्मा पिण्डं ददाति भक्तितः।
पितरः तृप्तिमायान्ति, मुक्तिश्च भवति ध्रुवम्॥”
अर्थात जो भक्त गंगा तट पर श्रद्धापूर्वक पिंडदान करता है, उसके पितर तृप्त होकर मोक्ष को प्राप्त होते हैं।
सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्त्व
दरभंगा घाट का राजमहल वाराणसी की “राजसी गरिमा” का प्रतीक है।यह घाट कई फिल्मों, डॉक्युमेंट्री और फोटो श्रृंखलाओं का केंद्र रहा है।यहाँ की सीढ़ियाँ, दीवारें और गंगा की लहरें इतिहास की ध्वनि सुनाती हैं।
प्राचीन ग्रंथों एवं ऐतिहासिक स्रोतों से प्रमाण
| ग्रंथ / स्रोत | उल्लेख / प्रमाण |
|---|---|
| स्कंद पुराण (काशी खंड) | काशी के हर घाट को मोक्षदायी बताया गया है; विशेषकर जहाँ शिव की उपासना हो। |
| वाराणसी महात्म्य (काशी रहस्य) | कहा गया है कि “गंगातटे यत्र नरेश निर्मित भवनानि, तत्र ब्रह्मलोकसमानं पुण्यं भवति।” |
| काशी दर्शन (18वीं शताब्दी) | नेपाली घाट को ‘पशुपति तीर्थ’ और दरभंगा घाट को ‘राजराष्ट्र तीर्थ’ कहा गया है। |
| अंग्रेज़ यात्री जेम्स प्रिंसेप (1830) | उन्होंने नेपाली घाट की मूर्तिकला और मुनशी घाट की सीढ़ियों को “Magnificent” बताया। |
| ‘Banaras: The Sacred City’ (E.M. Forster Notes) | दरभंगा पैलेस को ‘A Marble Jewel on the Ganges’ कहा गया। |
तीनों घाटों का सामूहिक धार्मिक और सांस्कृतिक अर्थ
| घाट | प्रतीक | प्रमुख देवता | विशेषता |
|---|---|---|---|
| नेपाली घाट | शिवभक्ति और नेपाल की संस्कृति | भगवान पशुपतिनाथ | लकड़ी का मंदिर, पगोडा शैली |
| मुनशी घाट | राजनिष्ठ सेवा और आस्था | गंगा माता | संगमरमर सीढ़ियाँ, संतों की साधना |
| दरभंगा घाट | राजसी वैभव और मोक्ष साधना | भगवान शिव | दरभंगा पैलेस, पिंडदान स्थल |
तीनों घाट मिलकर काशी के राजसी–आध्यात्मिक सौंदर्य का अद्भुत संगम प्रस्तुत करते हैं।Nepali Ghat Munshi Ghat Darbhanga Ghat-Varanasi
FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
Q1. नेपाली घाट का निर्माण कब हुआ था?
19वीं शताब्दी की शुरुआत में नेपाल के राजा राणा बहादुर शाह द्वारा।
Q2. मुनशी घाट का नाम किसके नाम पर पड़ा?
नवाब ऑफ बनारस के दीवान श्रीधर नारायण मुनशी के नाम पर।
Q3. दरभंगा घाट किसने बनवाया था?
बिहार के दरभंगा महाराज लक्ष्मीश्वर सिंह ने 1915–1920 के बीच।
Q4. क्या नेपाली घाट का मंदिर पशुपतिनाथ मंदिर जैसा है?
हाँ, यह पशुपतिनाथ मंदिर की हूबहू प्रतिकृति है।
Q5. क्या इन घाटों का उल्लेख पुराणों में है?
हाँ, काशी खंड, वाराणसी महात्म्य और अन्य ग्रंथों में काशी के सभी शिव–गंगा तटों का उल्लेख मोक्षदायी स्थान के रूप में किया गया है।Nepali Ghat Munshi Ghat Darbhanga Ghat-Varanasi
Disclaimer (अस्वीकरण)
यह लेख विभिन्न पौराणिक, ऐतिहासिक और स्थापत्य स्रोतों, ग्रंथों तथा शोधों पर आधारित है। तथ्यों में विभिन्न अभिलेखों के अनुसार मामूली भिन्नता संभव है। यह लेख केवल सांस्कृतिक और शैक्षिक उद्देश्य से लिखा गया है।Nepali Ghat Munshi Ghat Darbhanga Ghat-Varanasi
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