
Pradosh Vrat 2026 Dates Vidhi List हिंदू धर्म में व्रत-उपवास की एक लंबी परंपरा रही है, जिसमें भगवान शिव को समर्पित प्रदोष व्रत अत्यंत शुभ और फलदायी माना गया है। यह व्रत प्रत्येक माह की त्रयोदशी तिथि को आता है और इसे करने से जीवन की तमाम बाधाएँ दूर होती हैं, स्वास्थ्य और आयु में वृद्धि होती है तथा व्यक्ति को शिव कृपा सहज रूप से प्राप्त होती है।वर्ष 2026 के लिए प्रदोष व्रत की संपूर्ण तिथियाँ नीचे तालिका सहित दी गई हैं। साथ ही इस लेख में प्रदोष व्रत का इतिहास, महत्व, वैज्ञानिक और आध्यात्मिक लाभ, पूजा-विधि, उद्यापन तथा विस्तृत पौराणिक कथा भी सम्मिलित है।
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प्रदोष व्रत तिथि 2026
| दिनांक | दिन | व्रत |
|---|---|---|
| 01 जनवरी | गुरुवार | प्रदोष व्रत (शुक्ल) |
| 16 जनवरी | शुक्रवार | प्रदोष व्रत (कृष्ण) |
| 30 जनवरी | शुक्रवार | प्रदोष व्रत (शुक्ल) |
| 14 फ़रवरी | शनिवार | शनि प्रदोष व्रत (कृष्ण) |
| 01 मार्च | रविवार | प्रदोष व्रत (शुक्ल) |
| 16 मार्च | सोमवार | सोम प्रदोष व्रत (कृष्ण) |
| 30 मार्च | सोमवार | सोम प्रदोष व्रत (शुक्ल) |
| 15 अप्रैल | बुधवार | प्रदोष व्रत (कृष्ण) |
| 28 अप्रैल | मंगलवार | भौम प्रदोष व्रत (शुक्ल) |
| 14 मई | गुरुवार | प्रदोष व्रत (कृष्ण) |
| 28 मई | गुरुवार | प्रदोष व्रत (शुक्ल) |
| 12 जून | शुक्रवार | प्रदोष व्रत (कृष्ण) |
| 27 जून | शनिवार | शनि प्रदोष व्रत (शुक्ल) |
| 12 जुलाई | रविवार | प्रदोष व्रत (कृष्ण) |
| 26 जुलाई | रविवार | प्रदोष व्रत (शुक्ल) |
| 10 अगस्त | सोमवार | सोम प्रदोष व्रत (कृष्ण) |
| 25 अगस्त | मंगलवार | भौम प्रदोष व्रत (शुक्ल) |
| 08 सितंबर | मंगलवार | भौम प्रदोष व्रत (कृष्ण) |
| 24 सितंबर | गुरुवार | प्रदोष व्रत (शुक्ल) |
| 08 अक्टूबर | गुरुवार | प्रदोष व्रत (कृष्ण) |
| 23 अक्टूबर | शुक्रवार | प्रदोष व्रत (शुक्ल) |
| 06 नवम्बर | शुक्रवार | प्रदोष व्रत (कृष्ण) |
| 22 नवम्बर | रविवार | प्रदोष व्रत (शुक्ल) |
| 06 दिसम्बर | रविवार | प्रदोष व्रत (कृष्ण) |
| 21 दिसम्बर | सोमवार | सोम प्रदोष व्रत (शुक्ल) |
(कृष्ण पक्ष = अंधकार पक्ष की त्रयोदशी • शुक्ल पक्ष = चंद्रमा के बढ़ते पक्ष की त्रयोदशी)
प्रदोष व्रत क्या है?
प्रदोष व्रत हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र और पुण्यदायी व्रत माना गया है। यह प्रत्येक माह की कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को रखा जाता है। सूर्यास्त के बाद आने वाला समय “प्रदोष काल” कहलाता है और इसी समय भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है।त्रयोदशी + प्रदोष काल = प्रदोष व्रत
धार्मिक मान्यता है कि इस समय भगवान शिव कैलाश पर्वत पर अपने रजत भवन में आनंदतांडव करते हैं। इसी कारण भक्त इस विशेष समय में शिव पूजा कर अपने समस्त क्लेशों से मुक्ति की कामना करते हैं।Pradosh Vrat 2026 Dates Vidhi Lis
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प्रदोष व्रत का महत्व (Importance of Pradosh Vrat)
प्रदोष व्रत को हिंदू धर्म में अत्यंत शुभ और फलदायी माना गया है। शिवपुराण, स्कंदपुराण और पद्मपुराण जैसे प्राचीन ग्रंथों में इसके महत्व का विस्तृत वर्णन मिलता है। ऐसा विश्वास है कि इस व्रत को करने से जीवन के कष्ट, दुख और रोग दूर होने लगते हैं और व्यक्ति को उत्तम स्वास्थ्य एवं दीर्घायु की प्राप्ति होती है। मनोकामनाओं की पूर्ति, आर्थिक समस्याओं से मुक्ति और संतान प्राप्ति जैसे अनेक लाभ इस व्रत से जुड़े बताए गए हैं।
जिन लोगों के जीवन में गृह क्लेश, मानसिक तनाव या दांपत्य जीवन में अस्थिरता बनी रहती है, उनके लिए यह व्रत अत्यंत कल्याणकारी माना जाता है।यह व्रत ग्रह दोषों को शांत करने में भी सहायक माना गया है, और ऐसा कहा गया है कि नियमित रूप से प्रदोष व्रत करने से पापों का क्षय होता है और अंततः मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग सरल होता है। प्राचीन पुराणों में उल्लेख मिलता है कि एक प्रदोष व्रत का फल दो गायों के दान के समान पुण्य प्रदान करता है, इसलिए इसका महत्व अन्य व्रतों की तुलना में और अधिक हो जाता है।Pradosh Vrat 2026 Dates Vidhi Lis
प्रदोष व्रत का धार्मिक और आध्यात्मिक रहस्य
आध्यात्मिक दृष्टिकोण से प्रदोष व्रत का रहस्य और भी गहरा है। त्रयोदशी तिथि को शिवतत्त्व से अत्यंत निकट माना गया है, इसलिए इस दिन की गई पूजा-उपासना शीघ्र फल देने वाली होती है। प्रदोष काल, यानी सूर्यास्त के बाद के विशिष्ट समय को रजोगुण और सात्त्विक ऊर्जा का संगम माना गया है, जिसके दौरान शिव पूजा अत्यंत प्रभावी और शुभ मानी जाती है। इस व्रत में उपवास, मन की पवित्रता, जप, ध्यान और संयम का पालन अनिवार्य होता है। इन सबके माध्यम से साधक का मन शांत होता है, आत्मिक शक्ति बढ़ती है और शिव कृपा सहज ही प्राप्त होती है। इस प्रकार प्रदोष व्रत केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि मानसिक, आध्यात्मिक और शारीरिक कल्याण का मार्ग भी है।Pradosh Vrat 2026 Dates Vidhi Lis
वार के अनुसार प्रदोष व्रत का महत्व
प्रदोष व्रत जिस दिन पड़ता है, उसी दिन के अनुसार उसका फल अलग–अलग मिलता है:
रविवार प्रदोष (आदित्य प्रदोष)
- आयु वृद्धि
- स्वास्थ्य लाभ
- नेत्र रोग निवारण
सोमवार प्रदोष (सोम प्रदोष)
- मनोकामना पूर्ति
- ग्रह दोष शांत
- चंद्रमा संबंधी कष्ट दूर
मंगलवार प्रदोष (भौम प्रदोष)
- रक्त, त्वचा और शरीर संबंधी रोग दूर
- जमीन-जायदाद संबंधी मामलों में सफलता
बुधवार प्रदोष
- मानसिक शांति
- बुद्धि-विवेक में वृद्धि
गुरुवार प्रदोष
- शत्रुओं पर विजय
- कानूनी मामलों में जीत
शुक्रवार प्रदोष
- दांपत्य जीवन में सुख
- सौभाग्य और समृद्धि
शनिवार प्रदोष (शनि प्रदोष)
- संतान प्राप्ति
- शनि दोष निवारण
- कठिन कर्मों में सफलता Pradosh Vrat 2026 Dates Vidhi Lis
प्रदोष व्रत करने की विधि (Pradosh Vrat Vidhi)
प्रदोष व्रत की विधि सरल होने के बावजूद पवित्रता, मन की एकाग्रता और नियमों का पालन अत्यंत आवश्यक माना जाता है। इस व्रत की शुरुआत प्रातःकाल ब्रह्ममुहूर्त में होती है। व्रतधारी सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और स्वच्छ, सात्त्विक वस्त्र धारण करते हैं। इसके बाद घर के मंदिर में शिवलिंग का जल, दुग्ध और बेलपत्र से अभिषेक किया जाता है। सुबह से ही उपवास की शुरुआत होती है जो संपूर्ण दिन चलता है।Pradosh Vrat 2026 Dates Vidhi Lis
संध्याकाल में प्रदोषकाल से कुछ समय पहले पुनः स्नान कर लेना शुभ माना जाता है। इस समय व्रतधारी सफेद या पीले साफ वस्त्र पहनते हैं और पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करते हैं। गोबर या चावल से मंडप बनाकर उसके द्वार पर पंचरंगी रंगोली सजाई जाती है, जिससे पूजा स्थल अधिक पवित्र और शुभ बनता है। शिवलिंग पर जल, दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से पंचामृत अभिषेक किया जाता है तथा शिवजी को प्रिय बेलपत्र चढ़ाए जाते हैं। इसके बाद “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का 108 बार जप करने से व्रत का विशेष फल प्राप्त होता है। पूजा के अंत में दीपक जलाकर शिवजी की आरती की जाती है और भगवान से कृपा की प्रार्थना की जाती है।Pradosh Vrat 2026 Dates Vidhi Lis
व्रत का पारण प्रदोषकाल समाप्त होने के बाद किया जाता है। पारण के दौरान व्रतधारी फलाहार लेते हैं या अपनी सुविधा और शक्ति के अनुसार सामान्य भोजन भी कर सकते हैं। इस प्रकार श्रद्धा, नियम और भक्ति से किए गए प्रदोष व्रत से भक्त को शिवकृपा, मनोकामना सिद्धि और नकारात्मकताओं से मुक्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है।Pradosh Vrat 2026 Dates Vidhi Lis
प्रदोष व्रत का उद्यापन
यदि कोई भक्त 11, 21 या 26 प्रदोष व्रतों का संकल्प लेकर लगातार पालन करता है, तो अंत में उद्यापन करना आवश्यक माना जाता है। उद्यापन की प्रक्रिया अत्यंत पवित्र और शुभ मानी जाती है। इसमें सर्वप्रथम गणपति पूजन किया जाता है ताकि व्रत के सभी कार्य बाधा रहित पूर्ण हों। रात्रि में भजन-कीर्तन और जागरण करके वातावरण को भक्तिमय बनाया जाता है। अगली सुबह एक सुंदर मंडप सजाया जाता है और विधि-विधान से हवन किया जाता है, जिसमें 108 पवित्र मंत्रों का उच्चारण किया जाता है। इसके पश्चात ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है और दान-दक्षिणा देकर व्रत का फल पूर्ण माना जाता है। इस प्रकार उद्यापन से व्रतधारी को शिव-कृपा प्राप्त होती है और उसका संकल्प पूर्ण फल देता है।Pradosh Vrat 2026 Dates Vidhi Lis
प्रदोष व्रत की कथा (Pradosh Vrat Katha)
स्कंद पुराण में वर्णित प्रदोष व्रत की कथा अत्यंत प्रेरणादायक है। बहुत समय पहले एक वृद्ध ब्राह्मणी अपने छोटे पुत्र के साथ प्रतिदिन भिक्षा माँगकर जीवन यापन करती थी। एक दिन उसे नदी के तट पर एक अत्यंत सुंदर बालक मिला, जो वास्तव में विदर्भ देश का राजकुमार धर्मगुप्त था। उसके माता–पिता की मृत्यु के बाद शत्रुओं ने राज्य छीन लिया था और वह अकेला भटक रहा था। ब्राह्मणी ने दया से उसे अपने साथ रख लिया। कुछ समय बाद वे एक शिव मंदिर पहुँचे, जहाँ महान ऋषि शाण्डिल्य उपस्थित थे। उन्होंने ध्यान करके बताया कि यह बालक अत्यंत भाग्यवान है और यदि यह प्रदोष व्रत करेगा तो इसे खोया हुआ राज्य, सुख और समृद्धि पुनः प्राप्त होगी।Pradosh Vrat 2026 Dates Vidhi Lis
ब्राह्मणी और दोनों बच्चों ने पूरे श्रद्धाभाव और विधि-विधान के साथ प्रदोष व्रत रखना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे परिस्थितियाँ बदलने लगीं। एक दिन राजकुमार धर्मगुप्त की मुलाकात एक गंधर्व कन्या अंशुमती से हुई, और भगवान शिव की आज्ञा से दोनों का विवाह गंधर्वराज द्वारा संपन्न हुआ। इसके बाद राजकुमार ने अपनी सेना बनाई और शत्रुओं पर विजय प्राप्त कर अपना राज्य वापस हासिल कर लिया। उसे पूर्ण विश्वास था कि यह सब प्रदोष व्रत के पुण्य फल से संभव हुआ। इसी कारण कहा जाता है कि प्रदोष व्रत करने से सौ जन्मों तक व्यक्ति को कष्टों का सामना नहीं करना पड़ता।Pradosh Vrat 2026 Dates Vidhi Lis
प्रदोष व्रत का वैज्ञानिक दृष्टिकोण
वैज्ञानिक रूप से देखा जाए तो प्रदोष व्रत का महत्व अत्यंत लाभकारी है। शाम के समय उपवास रखने से शरीर प्राकृतिक रूप से डिटॉक्स होता है, जिससे पाचन शक्ति और ऊर्जा बेहतर होती है। व्रत और पूजा के दौरान मानसिक शांति प्राप्त होती है, जिससे तनाव कम होता है और मानसिक स्वास्थ्य मजबूत होता है। शिव पूजा में उपयोग होने वाले बेलपत्र, धूप आदि आयुर्वेद के अनुसार शरीर की ऊर्जा को संतुलित करते हैं और वायु-तत्व को शांत करते हैं। प्रदोष काल में ध्यान करना अत्यधिक लाभकारी माना गया है क्योंकि इस समय मस्तिष्क की सक्रियता बढ़ती है और एकाग्रता गहराती है। इसीलिए प्रदोष व्रत केवल धार्मिक नहीं, बल्कि मानसिक और शारीरिक रूप से भी अत्यंत लाभदायक है।Pradosh Vrat 2026 Dates Vidhi Lis
प्रदोष व्रत 2026: वाराणसी स्थान क्यों महत्वपूर्ण है?
वाराणसी, जिसे काशी भी कहा जाता है, स्वयं भगवान शिव का पावन धाम है और यहाँ किए गए किसी भी शिव-उपासना का फल अत्यधिक माना जाता है। प्रदोष व्रत के दौरान वाराणसी में विशेष आध्यात्मिक ऊर्जा महसूस होती है। यहाँ प्रदोष काल में मणिकर्णिका क्षेत्र, विश्वनाथ धाम, काशी जंगमवाड़ी और कई प्राचीन शिव मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना, रुद्राभिषेक और दीप आरती संपन्न होती है। भक्तों का मानना है कि काशी में किया गया प्रदोष व्रत शीघ्र फल देता है और शिव कृपा अनेक गुना बढ़ जाती है। इसलिए 2026 के प्रदोष व्रतों के लिए वाराणसी एक अत्यंत शुभ और आध्यात्मिक रूप से शक्तिशाली स्थान माना गया है।Pradosh Vrat 2026 Dates Vidhi Lis
निष्कर्ष
वर्ष 2026 का प्रदोष व्रत कैलेंडर सभी भक्तों के लिए अत्यंत शुभ समय लेकर आ रहा है।यदि कोई व्यक्ति श्रद्धा, नियम और आस्था के साथ इस व्रत का पालन करता है तो उसे शिव कृपा से जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति अवश्य होती है।वाराणसी जैसे दिव्य क्षेत्र में यह व्रत करना और भी अधिक फलदायी माना गया है।Pradosh Vrat 2026 Dates Vidhi Lis
FAQs :Pradosh Vrat 2026 Dates Vidhi Lis
1. प्रदोष व्रत 2026 में कब-कब पड़ रहा है?
2026 में शुक्ल और कृष्ण दोनों पक्षों के प्रदोष व्रत वर्षभर अलग-अलग तिथियों पर पड़ेंगे। यह शिवभक्तों के लिए अत्यंत शुभ समय माना जाता है।
2. प्रदोष व्रत का महत्व क्या है?
इस व्रत से शिव कृपा प्राप्त होती है, नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और जीवन में सौभाग्य बढ़ता है। अनेक कथाओं में इसे सर्वसिद्धि प्रदायक बताया गया है।
3. प्रदोष व्रत कैसे किया जाता है?
संध्याकाल में शिवलिंग पर जल, गंगाजल, दूध, बेलपत्र एवं धूप–दीप अर्पित किए जाते हैं। शिव महिमा का पाठ और ‘ॐ नमः शिवाय’ का जाप अत्यंत फलदायी है।
4. क्या वाराणसी में प्रदोष व्रत विशेष होता है?
हाँ, वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर में प्रदोष व्रत पर विशेष शिव-अभिषेक, रुद्राभिषेक और आरती की जाती है, जो अत्यंत शुभ मानी जाती है।
5. क्या प्रदोष व्रत में उपवास ज़रूरी है?
उपवास वैकल्पिक है। श्रद्धा अनुसार फलाहार, निर्जल या सामान्य उपवास किया जा सकता है।
DISCLAIMER (अस्वीकरण)
इस लेख में दी गई जानकारी धार्मिक ग्रंथों, परंपराओं और ज्योतिषीय मान्यताओं पर आधारित है। प्रदोष व्रत, पूजा-विधि, कथा और तिथियों से संबंधित विवरण सामान्य मार्गदर्शन के उद्देश्य से प्रस्तुत किए गए हैं। पाठकों को सलाह दी जाती है कि किसी भी व्रत या पूजा-विधि को अपनाने से पहले अपने कुल-परिवार, स्थानीय पुरोहित या योग्य ज्योतिषाचार्य से परामर्श अवश्य लें। तिथियों में पंचांग भेद के कारण स्थान के अनुसार परिवर्तन संभव है। इस लेख का उद्देश्य केवल सूचना प्रदान करना है; इसका किसी भी प्रकार का व्यक्तिगत या चिकित्सा/धार्मिक दायित्व नहीं है। पाठक अपने विवेक से निर्णय लें।Pradosh Vrat 2026 Dates Vidhi Lis
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