Surya Shukra Neechbhang Rajyog ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों की स्थिति व्यक्ति के जीवन की दिशा तय करती है। जब कोई ग्रह अपनी नीच राशि में स्थित होता है, तब वह अपनी पूर्ण शक्ति प्रकट नहीं कर पाता और व्यक्ति को जीवन में संघर्षों का सामना करना पड़ता है। लेकिन यदि वही ग्रह विशेष परिस्थितियों में नीचभंग राजयोग बनाता है, तो वह जातक को असाधारण सफलता, सम्मान और वैभव प्रदान करता है।
सूर्य और शुक्र — ये दोनों ग्रह क्रमशः राजसत्ता और सौंदर्य, आत्मबल और भौतिक सुख के प्रतीक हैं। अतः जब इनका नीचभंग होता है, तो जातक को जीवन के दोनों पक्षों — आध्यात्मिक और सांसारिक — में सफलता प्राप्त होती है।
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सूर्य का नीचभंग राजयोग (तुला राशि में सूर्य)
सूर्य तुला राशि में नीच का होता है। बृहत पराशर होरा शास्त्र में कहा गया है —
“तुलायां निचः सूर्यः, तत्र नृणां मानहानिः स्यात्।”
अर्थात जब सूर्य तुला राशि में हो तो व्यक्ति को आत्मसम्मान और पद की हानि का अनुभव होता है।
परंतु जब तुला राशि का स्वामी शुक्र, सूर्य के साथ युति में हो और शुक्र अस्त न हो, तब नीचभंग राजयोग बनता है। यह स्थिति सूर्य को पुनः तेजस्वी बनाती है और व्यक्ति को शासन, प्रशासन या सरकारी पदों से लाभ प्राप्त होता है। जातक पारिजात में कहा गया है —
“नीचोऽपि रविः शुक्रसंयुक्तो राजयोगं ददाति।”
अर्थात यदि नीच सूर्य शुक्र के साथ स्थित हो, तो राजयोग की प्राप्ति होती है।
यदि सूर्य नवमांश कुंडली में मेष राशि में उच्च का हो, तो यह स्थिति और भी बलवान नीचभंग राजयोग देती है। इस योग से व्यक्ति में नेतृत्व क्षमता, आत्मविश्वास और प्रसिद्धि बढ़ती है। वह समाज में आदर्श बनता है और उसके कार्यों की प्रशंसा होती है।Surya Shukra Neechbhang Rajyog
शुक्र का नीचभंग राजयोग (कन्या राशि में शुक्र)
शुक्र कन्या राशि में नीच का होता है। फलदीपिका में कहा गया है —
“कन्यायां निचो भवेच्च शुक्रो, स्त्रीसुखं हानिमाप्नोति।”
अर्थात जब शुक्र कन्या राशि में हो, तो व्यक्ति के जीवन में वैवाहिक या भावनात्मक संघर्ष उत्पन्न हो सकता है।
लेकिन जब शुक्र पर किसी शुभ ग्रह (जैसे सूर्य, बुध या गुरु) की दृष्टि पड़े, या कन्या राशि का स्वामी बुध केंद्र में उच्च अवस्था में हो, तब शुक्र का नीचभंग हो जाता है। जातक पारिजात में इसका उल्लेख है —
“यदा नीचोऽपि शुभदृष्टोऽथवा स्वामी केन्द्रे, नीचभंगो भवेत्।”
इस स्थिति में शुक्र का प्रभाव शुभ हो जाता है। जातक को विवाह, सौंदर्य, संगीत, कला, फैशन या व्यापार के क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है।
नीचभंग हुए शुक्र से व्यक्ति का व्यक्तित्व आकर्षक बनता है, उसका आत्मविश्वास बढ़ता है और जीवन में स्थिरता आती है। ऐसे लोग सामाजिक रूप से लोकप्रिय होते हैं और उनके जीवन में भौतिक सुख-सुविधाएँ बढ़ती हैं।Surya Shukra Neechbhang Rajyog
दोनों ग्रहों का संयुक्त नीचभंग प्रभाव
जब कुंडली में सूर्य और शुक्र दोनों का नीचभंग राजयोग बनता है, तब यह योग अत्यंत प्रभावशाली होता है। यह व्यक्ति को राजसी प्रतिष्ठा, विलासिता, प्रसिद्धि और आध्यात्मिक उन्नति एक साथ देता है।
ऐसे जातक अपने क्षेत्र में अग्रणी बनते हैं — चाहे वह राजनीति हो, कला, मीडिया, या प्रशासन। उनके जीवन में कठिनाइयाँ आती हैं, लेकिन वे हर परिस्थिति से विजयी होकर निकलते हैं। बृहत जातक में कहा गया है —
“नीचभंगो यदि द्विग्रहयोगे, तदा नृपवत् संपदा प्राप्यते।”
अर्थात यदि दो ग्रहों का नीचभंग योग एक साथ हो, तो व्यक्ति राजा के समान प्रतिष्ठा प्राप्त करता है।Surya Shukra Neechbhang Rajyog
नीचभंग के शुभ और अशुभ फल
सूर्य और शुक्र के नीचभंग से व्यक्ति को आत्मबल, यश, प्रतिष्ठा, धन और विवाह में स्थिरता मिलती है। परंतु यदि ग्रह अस्त हों या पाप ग्रहों से पीड़ित हों, तो कुछ नकारात्मक प्रभाव भी रह जाते हैं — जैसे अहंकार, संबंधों में दूरी, या अत्यधिक भोग-विलास के कारण मानसिक तनाव।
ज्योतिष शास्त्र कहता है — “सर्वमपि ग्रहं कर्मनिरपेक्षं न शुभाशुभं ददाति।”
अर्थात ग्रह अपने प्रभाव कर्मों के अनुसार ही फल देते हैं। अतः व्यक्ति का कर्म भी इन योगों को सक्रिय करने में मुख्य भूमिका निभाता है।Surya Shukra Neechbhang Rajyog
सूर्य और शुक्र को बलवान करने के उपाय
सूर्य को मजबूत करने के लिए प्रतिदिन तांबे के लोटे में जल भरकर उसमें लाल पुष्प डालें और “ॐ घृणिः सूर्याय नमः” मंत्र से अर्घ्य दें। रविवार के दिन नमक का सेवन न करें और गरीबों को गुड़ का दान करें। इससे आत्मबल और सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ती है।
शुक्र को बलवान करने के लिए शुक्रवार को कन्याओं को भोजन कराना, सुगंधित वस्त्र या इत्र दान करना और देवी लक्ष्मी या श्रीकृष्ण के मंदिर में दर्शन करना शुभ होता है। शुक्र मंत्र —
“ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः” — का 108 बार जाप करने से जीवन में स्थिरता और वैभव आता है।Surya Shukra Neechbhang Rajyog
शास्त्रीय दृष्टि से पूजा-विधान
रविवार के दिन सूर्य देव को लाल चंदन और लाल फूल अर्पित करें। शुक्रवार के दिन राधा-कृष्ण या माँ लक्ष्मी की आराधना करें। पंचधातु में बने सूर्य या शुक्र यंत्र को धारण करने से ग्रहों का शुभ प्रभाव बढ़ता है।
(Disclaimer)
यह लेख प्राचीन वैदिक ज्योतिष ग्रंथों पर आधारित है। ग्रहों का फल व्यक्ति की जन्म कुंडली, दशा, और गोचर के अनुसार भिन्न होता है। किसी भी उपाय को करने से पहले अनुभवी ज्योतिषाचार्य से परामर्श अवश्य लें।Surya Shukra Neechbhang Rajyog
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