दीपावली पर बनारस का 5 दिन का अन्नपूर्णा महोत्सव : जब स्वर्णमयी माता के दर्शन से जगमगाती काशी Varanasi Annpurna Mandir Diwali Puja History

Varanasi Annpurna Mandir Diwali Puja History

Varanasi Annpurna Mandir Diwali Puja History  वाराणसी — जिसे काशी, महाश्मशान या आनंदवन भी कहा जाता है — केवल मंदिरों की नगरी नहीं, बल्कि भारत की आत्मा है। हर दीपावली पर यह नगरी अनगिनत दीपों से जगमगा उठती है, परंतु असली आध्यात्मिक ज्योति प्रकट होती है जब अन्नपूर्णा माता मंदिर के द्वार खुलते हैं और स्वर्णमयी देवी के दर्शन होते हैं। यह वही समय होता है जब भक्तों की आस्था अपने चरम पर होती है, और माँ अन्नपूर्णा के आशीर्वाद से संपूर्ण काशी में अन्न और समृद्धि की वर्षा मानी जाती है।

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 अन्नपूर्णा मंदिर का इतिहास

अन्नपूर्णा मंदिर वाराणसी के प्रसिद्ध काशी विश्वनाथ मंदिर के समीप स्थित है। इसका निर्माण 18वीं शताब्दी में मराठा रानी अहिल्याबाई होलकर द्वारा कराया गया था — वही रानी जिन्होंने विश्वनाथ मंदिर का भी पुनर्निर्माण करवाया था।रानी अहिल्याबाई, जो अपनी धर्मनिष्ठा और जनसेवा के लिए प्रसिद्ध थीं, ने यह मंदिर माँ पार्वती के “अन्नपूर्णा” रूप को समर्पित किया। स्कंद पुराण और काशी खंड के अनुसार, जब भगवान शिव ने कहा कि “जगत मिथ्या है”, तब माता पार्वती ने उन्हें यह सिद्ध करने के लिए अन्न का वरदान दिया, जिससे ब्रह्मांड की गति बनी रही। इसी कथा के आधार पर यह मंदिर काशी में स्थापित किया गया — ताकि कभी कोई भूखा न रहे।Varanasi Annpurna Mandir Diwali Puja History


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धार्मिक महत्व

माँ अन्नपूर्णा को अन्न और समृद्धि की अधिष्ठात्री देवी कहा गया है। वाराणसी में मान्यता है कि जब तक काशी में अन्नपूर्णा विराजमान हैं, तब तक इस भूमि पर कभी अकाल नहीं पड़ेगा।भक्त मानते हैं कि अन्नदान ही सबसे बड़ा दान है, और अन्नपूर्णा माता की पूजा करने से न केवल अन्न की प्राप्ति होती है बल्कि मन में संतोष और जीवन में समृद्धि आती है।Varanasi Annpurna Mandir Diwali Puja History
दीपावली के समय यह महत्व और बढ़ जाता है, क्योंकि यही वह समय होता है जब देवी लक्ष्मी और अन्नपूर्णा दोनों की कृपा का योग बनता है।


 दीपावली पर अन्नपूर्णा पूजा और भंडारा

धनतेरस से लेकर भाई दूज तक, अन्नपूर्णा माता मंदिर में विशेष पूजा और अन्नदान महोत्सव आयोजित किया जाता है। इस दौरान लाखों श्रद्धालु विश्वनाथ गली से होकर मंदिर तक पहुँचते हैं।

भीड़ इतनी होती है कि विश्वनाथ मंदिर और अन्नपूर्णा मंदिर के बीच की गलियाँ दीपों, घंटों और मंत्रों की गूंज से भर जाती हैं। भक्तजन अन्नपूर्णा माता को अन्न, फल और मिठाई का भोग लगाते हैं, जिसके बाद भंडारे में हजारों लोगों को प्रसाद स्वरूप भोजन कराया जाता है।

वाराणसी के स्थानीय लोग मानते हैं कि दीपावली पर माँ अन्नपूर्णा के दर्शन से पूरे वर्ष घर में अन्न की कमी नहीं रहती।Varanasi Annpurna Mandir Diwali Puja History


 स्वर्णमयी अन्नपूर्णा मूर्ति और उसका रहस्य

अन्नपूर्णा माता की जो मूर्ति दीपावली के समय दर्शन के लिए रखी जाती है, वह खालिस सोने (Gold) से निर्मित है। यह मूर्ति वर्षभर बंद तिजोरी में सुरक्षित रहती है और केवल दीपावली के दिनों में ही भक्तों के लिए प्रदर्शित की जाती है।

इसके पीछे एक पौराणिक और लोककथात्मक कारण बताया जाता है —
कहा जाता है कि एक समय वाराणसी में अकाल पड़ा। तब माता अन्नपूर्णा ने सोने की मूर्ति के रूप में प्रकट होकर लोगों को अन्न प्रदान किया। उनके दर्शन से अन्न की वर्षा होने लगी और काशी फिर से समृद्ध हुई। इसीलिए आज भी दीपावली के समय माँ के स्वर्ण रूप के दर्शन शुभ माने जाते हैं — जो समृद्धि और अन्न का प्रतीक हैं।Varanasi Annpurna Mandir Diwali Puja History


खजाना और लोककथा

स्थानीय लोककथा के अनुसार, अन्नपूर्णा मंदिर के गर्भगृह के नीचे एक प्राचीन खजाना छिपा है जिसे स्वयं माता की कृपा से ही सुरक्षित माना जाता है। यह कहा जाता है कि जब तक भक्त सच्ची निष्ठा से अन्नदान करते रहेंगे, तब तक माता का खजाना कभी खाली नहीं होगा।Varanasi Annpurna Mandir Diwali Puja History

कुछ कथाओं में यह भी वर्णन है कि एक बार एक लालची व्यापारी ने मंदिर से अन्न चुराने की कोशिश की थी, परंतु अगले ही दिन उसका घर खाली हो गया और वह दरिद्र हो गया। तभी से कहा जाता है — “अन्न चुराने वाला कभी अन्नपूर्णा की कृपा नहीं पाता।”Varanasi Annpurna Mandir Diwali Puja History


 बनारस और अन्नपूर्णा: एक आध्यात्मिक संबंध

अन्नपूर्णा मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि काशी की जीवन-शक्ति है। बनारस में “भिक्षाटन” की परंपरा है, लेकिन कोई भूखा नहीं सोता — यह माता अन्नपूर्णा की कृपा मानी जाती है।
काशी के संत और साधु मानते हैं कि जहाँ अन्न का सम्मान होता है, वहीं धर्म, ज्ञान और मोक्ष की प्राप्ति संभव होती है।

अन्नपूर्णा माता का यह मंदिर विश्वनाथ मंदिर के ठीक निकट है — जो दर्शाता है कि शिव और शक्ति, ज्ञान और अन्न, दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं।Varanasi Annpurna Mandir Diwali Puja History


 काशी खंड से उल्लेख

काशी खंड में उल्लेख है —

“अन्नपूर्णेश्वरी देवी नित्यं तिष्ठति काश्यां,
यस्यां दर्शनमात्रेण दरिद्रता विनश्यति।”
(अर्थात् — जो काशी में अन्नपूर्णा देवी के दर्शन करता है, उसकी दरिद्रता नष्ट हो जाती है।)


 दीपावली पर दर्शन का शुभ फल

  • स्वर्णमयी अन्नपूर्णा के दर्शन से वर्षभर धन-धान्य की प्राप्ति होती है।
  • भंडारे में अन्नदान करने से पितरों की तृप्ति और लक्ष्मी की कृपा दोनों मिलती हैं।
  • दीपदान करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है।Varanasi Annpurna Mandir Diwali Puja History

 Disclaimer

यह लेख धार्मिक मान्यताओं, पुराणों और स्थानीय लोककथाओं पर आधारित है। इसका उद्देश्य किसी भी संप्रदाय या मत की भावनाओं को आहत करना नहीं है। पाठकों से अनुरोध है कि इसे आस्था और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से देखा जाए।Varanasi Annpurna Mandir Diwali Puja History

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