
Vrishabh Rashi वृषभ राशि (Taurus) राशि चक्र की दूसरी राशि है, जिसकी अधिपति देवी शुक्र (Venus) हैं। शुक्र के प्रभाव से इस राशि के जातक कोमल, कलात्मक, आकर्षक और स्थिर स्वभाव के होते हैं। इनका जीवन भौतिक सुख-सुविधाओं की ओर झुकाव रखता है। बृहत् पाराशर होरा शास्त्र में कहा गया है —“शुक्राधीनो वृषो नित्यं सौंदर्यप्रियः सुखान्वितः।”
अर्थात वृषभ राशि के जातक सौंदर्य, संगीत, कला और भोग-विलास के प्रेमी होते हैं।
इनकी विचारशक्ति गहरी होती है और ये जल्दी निर्णय नहीं लेते, पर एक बार निर्णय ले लें तो उस पर अटल रहते हैं। ये लोग व्यवहार में अत्यंत व्यावहारिक, लेकिन अंदर से संवेदनशील होते हैं। प्रेम और सौंदर्य इनके जीवन के दो अभिन्न अंग हैं।
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व्यवहार और समाज में स्थान
वृषभ राशि वाले व्यक्ति समाज में स्थिरता, अनुशासन और विश्वसनीयता के प्रतीक माने जाते हैं। ये मित्रता निभाने में सच्चे और वचन के पक्के होते हैं। समाज में इनकी पहचान एक भरोसेमंद और शांत व्यक्तित्व के रूप में होती है।
जातक पारिजात में कहा गया है —
“वृषभ जातकः स्थिरधीः, विश्वसनीयः च धर्मनिष्ठः।”
अर्थात वृषभ राशि का व्यक्ति धैर्यवान, धार्मिक और नैतिक मूल्यों वाला होता है।
इनके भीतर नेतृत्व की क्षमता तो नहीं होती, पर ये किसी भी संगठन में स्थिरता लाने का काम करते हैं। इनका प्रभाव धीरे-धीरे बढ़ता है, परंतु लंबे समय तक कायम रहता है।Vrishabh Rashi
मानसिकता और सोचने की शैली
इनका मन शांत, धैर्यवान और तार्किक होता है। भावनात्मक रूप से ये गहरे होते हैं, परंतु अपने भाव जल्दी प्रकट नहीं करते। सारावली ग्रंथ में कहा गया है —
“वृषभो स्थिरचित्तः स्यात्, अर्थमार्गे निपुणः सदा।”
अर्थात वृषभ राशि का व्यक्ति मानसिक रूप से स्थिर होता है और आर्थिक मामलों में अत्यंत समझदार होता है।
इनकी मानसिकता यह होती है कि जीवन को धीरे-धीरे और स्थायी रूप से आगे बढ़ाया जाए। जोखिम लेने की प्रवृत्ति कम होती है, पर एक बार किसी दिशा में चल पड़े तो उसे अंत तक निभाते हैं।Vrishabh Rashi
करियर और व्यवसाय
वृषभ राशि के लोगों के लिए ऐसे क्षेत्र उत्तम होते हैं जहाँ सौंदर्य, धन या प्रबंधन से जुड़ा कार्य हो। ये बैंकिंग, आर्किटेक्चर, कृषि, संगीत, रियल एस्टेट, वित्त, फैशन डिज़ाइन या कला से जुड़े व्यवसायों में सफल होते हैं।
फलदीपिका में उल्लेख है —
“वृषभो वित्तकारी च सदा सुखजीवनेषु च।”
अर्थात वृषभ राशि के जातक धन के प्रति जागरूक रहते हैं और सुख-संपन्न जीवन जीते हैं।
इनकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि ये निरंतर मेहनत करते हैं और किसी भी काम को अधूरा नहीं छोड़ते। धीरे-धीरे आगे बढ़ना, पर स्थायी प्रगति करना — यही इनकी सफलता का मूलमंत्र है।Vrishabh Rashi
प्रेम और दांपत्य जीवन
वृषभ राशि प्रेम के मामलों में अत्यंत वफादार होती है। ये अपने साथी से स्थायित्व, निष्ठा और भावनात्मक गहराई की अपेक्षा रखते हैं। शुक्र ग्रह के कारण इनकी रोमांटिक प्रवृत्ति मजबूत होती है, और ये प्रेम को सौंदर्य व संवेदनशीलता के साथ जोड़ते हैं।
बृहत जातक में कहा गया है —
“वृषभो रतिप्रधानः, प्रियवाक्यप्रियो नृपः।”
अर्थात वृषभ जातक प्रेमपूर्ण वाणी वाले, सौम्य और अपने प्रियजनों के लिए समर्पित होते हैं।
इनके विवाह प्रायः स्थिर और सुखद रहते हैं, बशर्ते कि साथी इनके धैर्य और भावनात्मक जरूरतों को समझे।Vrishabh Rashi
स्वास्थ्य और शारीरिक स्थिति
वृषभ राशि का शारीरिक गठन मजबूत और आकर्षक होता है। गर्दन, गला, स्वरयंत्र, और थायरॉइड ग्रंथियां इनके शरीर के कमजोर हिस्से माने जाते हैं। सारावली के अनुसार —
“वृषभो गलरोगयुक्तो, रसप्रेमी च सदा भवेत्।”
अर्थात वृषभ राशि वाले स्वादिष्ट भोजन के शौकीन होते हैं, पर गले से जुड़ी समस्याओं का सामना कर सकते हैं।
इन्हें योग, ध्यान और प्राणायाम को जीवन का हिस्सा बनाना चाहिए। साथ ही, शीतल पेय और अधिक मीठे भोजन से बचना चाहिए।Vrishabh Rashi
शुभ रंग, अंक और दिशा
वृषभ राशि के लिए शुभ रंग हैं — सफेद, हल्का गुलाबी, हल्का नीला और क्रीम।
शुभ अंक हैं — 2, 6 और 8, जो शुक्र और शनि ग्रह से संबंध रखते हैं।
शुभ दिशा — दक्षिण और पश्चिम, जहाँ से कार्य आरंभ करने से सफलता मिलती है।
इन रंगों और दिशाओं का प्रयोग जीवन में स्थिरता, प्रेम और आर्थिक समृद्धि लाने में सहायक होता है।Vrishabh Rashi
शुभ रत्न और धारण विधि
वृषभ राशि के स्वामी शुक्र ग्रह को प्रसन्न करने के लिए हीरा (Diamond) या सफ़ेद पुखराज (White Sapphire) धारण करना अत्यंत शुभ माना गया है।
रत्न पाराशर ग्रंथ में कहा गया है —
“शुक्ररत्नं धृतं नित्यं, सौभाग्यं धनवृद्धिकरं।”
अर्थात शुक्र का रत्न धारण करने से धन और सौभाग्य की वृद्धि होती है।
इसे शुक्रवार को, शुक्ल पक्ष में, चांदी की अंगूठी में, दाएं हाथ की अनामिका में धारण करना चाहिए। धारण करने से पहले “ॐ शुं शुक्राय नमः” का 108 बार जाप करें।Vrishabh Rashi
उपाय, पूजा और मंत्र
वृषभ राशि के जातकों को शुक्रवार के दिन देवी लक्ष्मी और भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए।
शिवलिंग पर दूध अर्पित करने से शुक्र दोष दूर होता है।
शुक्र गायत्री मंत्र:
“ॐ असुराचार्याय विद्महे, शुक्रमूर्तये धीमहि, तन्नः शुक्रः प्रचोदयात्।”
इस मंत्र का नियमित जाप करने से आर्थिक समृद्धि और मानसिक शांति प्राप्त होती है।Vrishabh Rashi
प्राचीन ग्रंथों से संदर्भ
वृषभ राशि का उल्लेख बृहत पाराशर होरा शास्त्र, फलदीपिका, जातक पारिजात और सारावली जैसे ग्रंथों में विस्तार से हुआ है। इन ग्रंथों में वृषभ को “स्थिर, सौंदर्यप्रिय, वित्तनिपुण और भोगवादी” कहा गया है।
इनका जीवन व्यावहारिकता, स्थिरता और कला के संगम का प्रतीक है।Vrishabh Rashi
FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
Q1. वृषभ राशि का स्वामी ग्रह कौन है?
शुक्र ग्रह।
Q2. वृषभ राशि वालों के लिए कौन-सा रत्न शुभ है?
हीरा या सफेद पुखराज।
Q3. वृषभ राशि के लिए कौन-सा रंग शुभ है?
सफेद, हल्का गुलाबी, हल्का नीला।
Q4. क्या वृषभ राशि वाले सफल व्यापारी बन सकते हैं?
हाँ, क्योंकि ये धन प्रबंधन में निपुण होते हैं और दीर्घकालिक सोच रखते हैं।
Q5. वृषभ राशि वालों के लिए कौन-सा दिन शुभ है?
शुक्रवार और सोमवार।Vrishabh Rashi
Disclaimer:
यह लेख पारंपरिक ज्योतिष ग्रंथों और प्राचीन मान्यताओं पर आधारित है। इसका उद्देश्य सामान्य जानकारी देना है। व्यक्तिगत कुंडली के विश्लेषण और निर्णय हेतु किसी योग्य ज्योतिषाचार्य से परामर्श अवश्य लें।Vrishabh Rashi
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